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वीडियो जानकारी: 30.09.2024, वेदांत संहिता, ग्रेटर नोएडा

विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी चेतना (Consciousness) पर चर्चा कर रहे है। वे बताते हैं कि मनुष्य और पशु के बीच चेतना का भेद है, लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि पशुओं में चेतना नहीं होती। वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि सत्रों को याद करके विरोधाभास ढूंढने की जगह, जो वर्तमान में कहा जा रहा है उसे ध्यान से सुनना ज़रूरी है।

आचार्य जी भारतीय और पश्चिमी जीवनशैली की तुलना करते हुए बताते हैं कि भारत में विविधता और बदलाव स्वाभाविक हैं, जबकि पश्चिम में हर चीज़ एकसमान और स्थिर होती है। वे समझाते हैं कि गुरु की बात शिष्य की ज़रूरत के अनुसार बदलती रहती है, क्योंकि हर व्यक्ति की समस्याएं और स्थिति अलग होती हैं।

इसके अलावा, वे प्रकृति, अहंकार और आत्मा के बीच के संबंध को भी स्पष्ट करते हैं। वे कहते हैं कि सही और सच्ची बात ही आत्मा है, और मुद्दे हमेशा प्रकृति से जुड़े होते हैं। आत्मा किसी मुद्दे का विषय नहीं बन सकती, लेकिन हर सच्ची बात आत्मा होती है।

इस सत्र में आचार्य जी गहरे दार्शनिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण को सरल और व्यंग्यात्मक शैली में समझाते हैं, जिससे श्रोता को आत्मनिरीक्षण करने का अवसर मिलता है।


🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06

संगीत: मिलिंद दाते
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