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वीडियो जानकारी: 27.03.2024, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो मेंआचार्य जी ने प्रेम, बंधन और स्वतंत्रता के विषय में चर्चा की है। एक प्रश्न कर्ता ने अपने पपीज को रेस्क्यू करने के बाद उनके प्रति अपने लगाव और परिवार के विरोध के बारे में बताया। आचार्य जी ने बताया कि प्रेम और बंधन साथ नहीं चलते। जब हम प्रेम करते हैं, तो हमें बंधनों को पहचानना और उन्हें तोड़ना पड़ता है।

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि प्रेम का अर्थ केवल किसी को अपने पास रखना नहीं है, बल्कि उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करना भी है। प्रेम हमें यह सिखाता है कि हम दूसरों को उनके निर्णय लेने की स्वतंत्रता दें। अगर परिवार के सदस्य पपीज को घर से निकालने के लिए कह रहे हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि प्रेम में बंधन नहीं होना चाहिए।

आचार्य जी ने यह भी कहा कि प्रेम और मुक्ति का संबंध है। जब हम प्रेम करते हैं, तो हमें अपने स्वार्थों को छोड़ना पड़ता है। अंत में, उन्होंने प्रश्न कर्ता को सलाह दी कि वे अपने पपीज को स्वतंत्रता दें और उन्हें अपने निर्णय लेने का अवसर दें।

प्रसंग:
~ घर वाले प्रेम में बाधा बनते हैं, क्या करें?
~ जानवरों से प्रेम करती हूँ लेकिन घरवाले उन्हें रखने नहीं देते?
~ सच्चे प्रेम की पहचान क्या है?
~ प्रेम से क्यों डरते हैं लोग?
~ क्या होती है प्रेम की महिमा?

जिस तन लगिया इश्क कमाल।
नाचे बेसुर ते बेताल ।।
~ बाबा बुल्लेशाह

संगीत: मिलिंद दाते
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