• 3 hours ago

- अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से मादा शावक को किया रिलीज

- ब्लड सैपल्स लिए, रेडियो कॉलर लगाया
कोटा. मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व को बुधवार को 'राजकुमारी' मिल गई। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से रणथंभौर की बाघिन टी-114 की बेटी को बुधवार दोपहर मुकुन्दरा में छोड़ दिया गया। इसी के साथ जंगल की बेटी जंगल में पहुंच गई, अब वहीं अपना आशियाना बनाएगी।

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बाघिन टी-114 के दोनों शावकों की परवरिश जंगल में रिलीज करने की दृष्टि से ही की गई थी। विभाग के प्रयास रंग लाए और आखिरकार सब एडल्ट शावक को जंगल में छोड़ दिया गया। उसके लिए दरा रेंज में 5 हैक्टेयर क्षेत्र मेें एनक्लोजर बनाया गया है। कुछ समय यहां बिताकर जंगल से अच्छी तरह से तालमेल होने के बाद उसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा। इस दौरान लगातार उसकी मॉनिटरिंग की जाएगी।
टीम में रहे शामिल

शावक की रिवाइल्डिंग की सुबह से ही तैयारी थी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के निर्देशों अनुसार विशेषज्ञ व अधिकारियों की टीम सुबह 9 बजे अभेड़ा पहुंची। टीम में विशेषज्ञ डॉ. राजीव गर्ग, मुकुन्दरा हिल्स के डॉ. तेजेन्द्र रियाड़, मुकुन्दरा हिल्स के उपवन संरक्षक मुथु एस, वन विभाग की वन्यजीव शाखा के उपवन संरक्षक अनुराग भटनागर, सेवानिवृत्त वन अधिकारी दौलत सिंह शक्तावत व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के राजशेखर मौजूद रहे। एनटीसीए के प्रोटोकॉल के तहत मादा शावक को ट्रैंकुलाइज किया गया। रक्त इत्यादि आवश्यक सैंपल्स लिए गए। उसे रेडियो कॉलर लगाया गया। 11.30 बजे टीम मुकुन्दरा के लिए रवाना हो गई।
भाई रामगढ़, बहन मुकुन्दरा की उम्मीद
पिछले सप्ताह बाघिन-114 के मेल शावक को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व की जैतपुर रेंज में बनाए गए 5 हैक्टेयर के एनक्लोजर में छोड़ा गया था। फीमेल को मुकुन्दरा की दरा रेंज में बनाए गए एनक्लोजर में छोड़ा गया। दोनों अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे हैं। मेल शावक रामगढ़ और फीमेल मुकुन्दरा का भविष्य हैं।

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मां की मौत के बाद पड़ गए थे अकेले

जनवरी-2023 में रणथंभौर में बाघिन की मौत हो गई। उसके तीन शावक थे। बाघिन के साथ एक शावक भी मृत मिला था। मां की मौत के बाद शावकों को सुरक्षा देने के लिए कोटा के अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क लेकर आए थे।
शिफि्टंग इसलिए महत्वपूर्ण

मुकुन्दरा रिजर्व में वर्ष-2020 में एक बाघ व एक बाघिन, बाघिन एमटी-2 के दो शावकों में से एक की मौत, एक बाघ व शावक के लापता होने से वन्यजीव टाइगर रिजर्व के विकास को धक्का लगा था। ऐसे में वन्यजीव प्रेमी फिर से टाइगर रिजर्व को आबाद होने का इंतजार कर रहे थे।

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संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी में नेचर टूरिज्म को प्रोत्साहित करते हुए हाड़ौती की आर्थिक प्रगति को नई गति देने के प्रयास किए जा रहे हैं। बाघिन टी-114 के शावकों की मुकुंदरा रिजर्व व रामगढ़ विषधारी में शिफ्टिंग भी इसी दिशा में एक सकारात्मक पहल है। हमारी कोशिश है कि संसदीय क्षेत्र के दोनों टाइगर रिजर्व, मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी में बाघों को बसाने प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़े। रामगढ़ विषधारी में सफारी का शुभारंभ हो चुका है, मुकुंदरा रिजर्व में भी सुविधाओं को विकसित कर जल्द ही टाइगर सफारी शुरू की जाएगी।

- ओम बिरला, अध्यक्ष (लोकसभा)

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