• 2 weeks ago
सवाईमाधोपुर. राज्य सरकार ने भले ही इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना कर दिया हो मगर सरकारी की ओर से जारी किया जा रहा बजट ऊंट के मुंह में जीरा समान है। इस बार सरकार ने भी सालाना बजट घटाकर डेढ़ करोड़ रुपए कर दिया है, जबकि नगरपरिषद में पूर्व में तीन करोड़ रुपए का बजट जारी किया था। इसका असर शहरी क्षेत्र में रोजगार करने वाले लोगों पर पड़ रहा है।
कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी योजना
मनरेगा की तर्ज पर राजस्थान के नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों को आसान कार्य उपलब्ध करवाने के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू की थी। इसमें परिवार को प्रतिवर्ष सौ दिन का रोजगार दिया जाना तय किया था। यह योजना 9 सितंबर 2022 को राजस्थान सरकार ने लागू की थी। इस दौरान सवाईमाधोपुर को छह करोड़ का बजट जारी किया था। वहीं पिछले साल घटाकर तीन करोड़ कर दिया और इस वित्तीय वर्ष में अब बजट केवल डेढ़ करोड़ का ही रह गया है।
आधी रह गई श्रमिकों की संख्या
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई योजना में प्रतिदिन लेबर की संख्या करीब सात सौ से आठ सौ थी लेकिन अब घटकर आधी ही रह गई है। वर्तमान में योजना के तहत लोगों को रोजगार भले ही दिया जा रहा हो मगर बजट कम जारी होने से कम ही लोगों को रोजगार मिल रहा है।
फैक्ट फाइल...
-मुख्यमंत्री शहरी मनरेगा योजना के तहत नगपरिषद क्षेत्र में कुल जॉब कार्ड-6 हजार 782
-कुल श्रमिकों की संख्या-350
-इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा श्रमिकों के लिए आया कुल बजट- डेढ़ करोड़ रुपए
-मनरेगा का समय सुबह आठ से शाम पांच बजे तक।
- शहरी मनरेगा में मेट की प्रतिदिन देय राशि-271 रुपए
-लेबर को देय प्रतिदिन राशि-259 रुपए
-25 नवम्बर 2024 को बदला था योजना का नाम
-9 सितंबर 2022 को शुरू हुई थी इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना
- योजना के तहत प्रत्येक श्रमिक को 15 दिन का रोजगार देय है।

इनका कहना है...
योजना के शुरूआती दौर में सरकार ने नगरपरिषद को छह करोड़ का बजट जारी किया था। लेकिन अब बजट में कटौती की जा रही है। वर्तमान में वित्तीय वर्ष में केवल डेढ़ सौ करोड़ का ही बजट जारी किया है। इससे श्रमिकों की संख्या भी आधी रह गई है।
सुनील मीणा, कनिष्ठ तकनीकी सहायक, मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना सवाईमाधोपुर

Category

🗞
News

Recommended