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झोपडी के अंदर मेहेल _ Stories in Hindi _ Hindi Kahaniya _ Hindi Kahani _ Saas Bahu _ Sun Tv(720P_HD)

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00:00रतीपुर नाम का एक बहुत ही सुन्दर गाओ था
00:04जहाँ एक भी व्यक्ति घरीब नहीं था
00:08एक दिन इस गाओ के किनारे पर एक व्यक्ति रहने के लिए आता है
00:12और एक तूटे पुराने घर का इस्तमाल करता है
00:16और फिर वो प्रधान के पास काम मांगने के लिए जाता है
00:20अरे भाई नए लगते हो कहां से आये हो
00:24अरे मैं तो पास के ही एक दूसरे गाओ में रहता था
00:28अब सोच रहा हूँ कि यहां बस जाऊँ
00:31अच्छा पर तुम यहां रहोगे कहा
00:34प्रधान जी मैंने गाओं के खिनारे पर एक टूटा घर देखा है
00:37सोच रहा हूँ कि उसी में रह लूँगा
00:40अच्छा तो उस पुराने घर में रहना चाहते हो
00:44कोई बात नहीं रह लेना
00:46पर तुम इस गाओं में जादा दिन नहीं टिक पाओगे भाई
00:49वो क्यों प्रधान जी
00:51इस गाओं में कोई भी व्यक्ति गरीब नहीं है
00:55बस एक तुम ही हो
00:57गाओं वाले तुम्हें अपनाएंगे नहीं भाईया
01:00अरे प्रधान जी जब मैं यहाँ आया
01:02तो मैं अपने साथ काफी सरा धन लेकर आया
01:05तो आप मेरे गरीब होने की चिन्ता ना करे
01:08मैं वो पुराना घर नए तरीके से बनवा लूँगा
01:11तो यहां मेरे पास क्यों आये हो
01:14मैं तो समझा कि काम की तलाश में आये हो
01:17जी बिल्कुल सही समझा आपने
01:19जब मैं घर बनवा लूँगा
01:21तो मुझे काम की या कोई नई दुकान खोलने की आवशकता पड़ेगी
01:25इसलिए आपसे विचार विमर्ष करने आया था
01:29अच्छा, तो ठीक है
01:31मेरे ही जमीन पड़ी है एक बाजार में
01:34तो तुम वही खरीद लेना
01:36और घर बनाने के लिए लोग कहाँ से मिलेंगे
01:39वो तो गाँव के बाहर से बुलाने होंगे
01:42तुम चिंता मत करो, आज का दिन उस घर में निकालो
01:45मैं कल होते ही उन्हें वहाँ भेश दूँगा
01:49जी प्रधान जी, जैसा आप कहें
01:51ये कहकर लच्चु वहाँ से अपने घर की ओर चल देता है
01:55और प्रधान मुस्कुराने लगता है
01:59शाम हो गई और प्रधान के घर पर दो लोग आये
02:04ललित और मोहेत, एक नया काम आया है
02:08कैसा काम प्रधान जी
02:11इस गाँव के किनारे जो पुराना घर है
02:14वहाँ एक नया व्यक्ति आया है लच्चु नाम का
02:18कहते हैं धन परियाप्त है
02:20एक नई दुकान खोलना चाहता है
02:22और साथ में एक घर भी बनवाना चाहता है
02:26तो आप क्या चाहते हैं, अब हम घर बनाए
02:29मोहेत, पूरी बात सनो
02:31उन्होंने कहा कि बहुत धन लाया है उसने
02:34क्यों प्रधान जी
02:39सही समझा है तुमने
02:42ओ, तो ऐसी बात है
02:44तब तो हम उसका घर बनाने के लिए कल ही चले जाएंगे
02:47और शाम तक काम पूरा कर देंगे
02:52ठीक है, अब काम पर लग जाओ तुम दोनों
02:55अगले दिन ललित और मोहित लच्चू के घर के सामने ख़ड़े थे
03:01अरे भईया लच्चू, यही रहते हैं क्या?
03:04तधान जी ने बताया था कि यही पता है
03:07पर पता नहीं आप कहां है
03:10तब ही दर्वाजा खुलता है और लच्चू बाहर आता है
03:14हाँ जी भाईया, मैं ही लच्चू हूँ
03:17और यही घर मैंने खरिदा था
03:19आप बस इसे सही से बना दीजिए
03:21जिन्दा ना करिये, साफ कर देंगे पूरा
03:25और ये बंजर घर लगने लगेगा चका चक
03:28ठीक है भाईया, और पैसे की चिंता मत करियेगा
03:32मैं सारा पैसा काम होते ही दे दुँगा
03:35ललित और मोहित घर के अंदर घुसते ही वो देखते हैं
03:39कि वहाँ बस एक संधूक रखा है
03:42और एक कपडो का ठैला
03:45ठीक है भाईया, तब हम काम शुरू कर देते हैं
03:49जी, आप दोनों काम कीजिए
03:51कोई जरूत पड़े, तो मुझे बताईएगा
03:54जी भाईया जी
03:55दोनों को काम करते करते काफी देर हो गई
04:01कड़ी धूप हो चुकी थी, लच्चु कहता है
04:05भाईया, मैं आप दोनों के लिए कुछ खाने को ले आता हूँ
04:09जी भाईया जी, भूग तो लग गई है
04:12आप आएंगे, तब तक हम आज का काम पूरा कर लेगे
04:16हाँ, पूरा साफ कर देगे
04:20हाँ, हाँ, ठीक है भाईया
04:22आप दोनों लगे रहे हैं, मैं अभी आया
04:25लच्चु वहाँ से ये कहकर चला गया
04:29भाईया, भाईया, ये तो गया
04:32अब हम असली काम शुरु करेंगे
04:35काम तो आते ही हो गया था, मोहित
04:38वो कैसे भाईया
04:40वो देखो, बस एक संदूग रखा है और एक बक्सा
04:44जिसमें कपड़े दिख रहे हैं
04:46और कोई भी समान इस आदमी ने नहीं रखा है
04:50अच्छा, तो वो खसाना जरूर उस संदूग में ही होगा
04:55आप तो बड़े होशियार हो, भाईया
04:58चल, मोहित, साफ कर देते हैं
05:03दोनों भाई मिलकर उस संदूग को खोलते हैं
05:07उन्हें सोने चांदी के सिक्के मिलते हैं
05:11दोनों पूरा संदूग उठा कर वहाँ से भाग जाते हैं
05:16अरे भाईया ललित, मोहित, कहा गया आप दोनों
05:20मैं खाना ले आया
05:22लच्छू चारो और सर घुमा कर देखता है
05:25पर उसे कहीं कोई नहीं देखता
05:28फिर वो देखता है कि उसका संदूग गायब हो चुका है
05:33ये देखकर रोने लगता है
05:36अरे लुट गया, मैं बर्बाद हो गया
05:39मेरी पूरी सिद्दिगी की मेणत चली गई
05:42अब मैं क्या करूँगा
05:45लच्छू प्रधान के घर चला जाता है
05:48प्रधान जी, प्रधान जी
05:51क्या हो गया भईया, तुम रो क्यों रहे हो
05:55सब लुट गया, मैं लुट गया
06:00थोड़ा शान्त हो जाओ और मुझे पूरी बात बताओ
06:04आपने आज जो दो लोगों को बेजा था
06:06उन्होंने मेरा सारा पैसा
06:08मेरी जिनदिगी की पूरी कमाई चुडाली
06:11और वहाँ से बाग गए
06:13ये कैसे हो सकता है
06:15क्या उन दोनों ने सारे पैसे चोरी कर लिये
06:17कितने पैसे थे उस संदुक में
06:20बहुत पैसे थे
06:21मेरी जिनदिगी की कमाई थी उसमे
06:24मैं अपनी सारी जमीन और घर बेचकर वो पैसे लेकर आया था
06:28कि इस गाओं में आकर एक नई सिंदिगी शुरू करूँगा
06:31सोने चांदी के कई सिक्के थे उसमें
06:34च्या बड़े ही दुखत बात हो गई ये तो भईया
06:39रुखो मैं पानी लाता हूँ तुम्हारे लिए
06:41जैसे ही प्रधान उठ कर आगे बढ़ता है उसके धैले से
06:47एक सोने का सिक्का गिरता है लच्चु उसे उठा लेता है
06:52और बड़े ध्यान से देखता है
06:55प्रधान जी ये ये सिक्का ये सिक्का मेरा है यहनी आप
07:00ही इस खेल में मिले हुए हैं मुझे मेरे पैसे वापस कीजिए
07:03अच्छा तो तुम्हें आकर पता चल ही गया कोई बात निए अब जब पता
07:12तो क्या किया जा सकता है?
07:14बाहर आओ ललित और मोहित
07:16ललित और मोहित दोनों वहाँ आ जाते हैं
07:20तुम तीनों मिले हुए हो
07:22मैं समझ गया
07:24जुब भी करो भाईया
07:26पैसों का इतना मोह अच्छा नहीं है
07:29इसलिए हमने तुम से वो ले लिये
07:33हो भाईया लच्छु
07:34उपकार किया है हमने तुम पर
07:36दुनिया के मोह से छुटकारा दिला कर
07:42बाहर फेक दो इसे
07:45ललित और मोहित उसे बाहर निकाल देते हैं
07:49चल भाग यहां से
07:51दिखाई मत देना प्रधान जी के यहां
07:54लच्छु रोते हुए जंगल की तरफ जा कर बैठ गया
07:59तभी वहाँ एक बिखारी आता है
08:03क्यों रे भाईया रोता क्यों है
08:06तुम नहीं समझोगे
08:08एक बिकारी को दूसरा बिकारी ना समझे
08:12तो वो व्यार्थ है भाईया
08:14मैं बिकारी नहीं हूँ
08:15मेरे सारे पैसे इस गाओं के प्रदार ने चोरी कर लिये है
08:20तो हो गए न बिकारी तुम भी
08:25हाँ शायद सही कह रहे हो तुम
08:28अब मैं क्या करूँ मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है
08:32मुझे कुछ पैसे दे दो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ
08:36अभी बिकारी कह कर चिरा रहे थे और अब पैसे मांग रहे हो गसब के माया है
08:42समझता हूँ पर भूँग इतनी लगी है कि क्या करूँ
08:47लछ्श्व अपने जेप से सारे पैसे निकाल कर उसे दे देता है
08:53बस ये आखरी पैसे बच्ये थे मेरे पास
08:56सारे पैसे दे दिये मुझे और खुद के लिए कुछ क्यों नहीं बचाया
09:01तुम भी तो परिशान हो, मैंने तो आज खाना खा लिया था
09:06तुम भी खाना खा लेना इससे
09:08क्या मांगते हो, मैं भी तुम्हें वो दूँगा
09:12मेरा बोला खाली नहीं जाता, तो सोच समझ के बोलना
09:16शायद तुम जूट नहीं कह रहे है, लेकिन फिर भी
09:20फिलाल मैं इस हालत में नहीं हूँ, कि कुछ सोच सकूँ
09:23और मांग सकूँ, अपनी एक्छा से जो इजट समझो, वो दे दू
09:28ठीक है, तब जिस घर में तुम रह रहे थे
09:32वहाँ पर एक खूफया महल आ जाएगा
09:35क्या सच, इतना भव्य घर तुम मुझे क्यों दे रहे हो
09:40मैं इन सब चीज़ों से दूर हूँ भईया
09:43मैं ना किसी से भीक मांगता हूँ
09:46और ना ही किसी को कुछ देता हूँ
09:48जो दान में मिल जाए, वो बिना कुछ कहे स्विकार लेता हूँ
09:52तुम से मैंने मांगा था, तो तुम्हें लोटा दिया
09:56तभी भिखारी, वहाँ एक संदूग प्रकट करता है
10:00और लच्छु को दे देता है
10:03ये संदूग कैसा है?
10:06भईया, इस संदूग में अंगिनत पैसे है
10:10ताकि तुम्हें कभी पैसों का अभाव ना हो
10:13तुम्हारे अतिरेक्ट अगर कोई भी इस संदूग को खोलेगा
10:17तो वो इसमें कैद हो जाएगा
10:19आपका बहुत बहुत धन्यवाद महंत जी
10:22अरे भईया, चिंता क्यों करते हो
10:25भगवान का नाम भजो और काम करो
10:28फिर जो होता है होने दो
10:31लच्चु हाद जोड़कर उस इनसान को प्रणाम करता है
10:35और उसके जाने के बाद अपने खुफया महल की तरफ आ जाता है
10:40जैसे ही वो दर्वाजा खोलता है
10:43तो मानो अन्दर से वो जैसे कोई महल हो
10:48वा ये तो सचमोच एक महल की तरह है
10:52लच्चु बड़ा ही अचमभित होकर पूरे महल को देख रहा था
10:57तब ही उसे दर्वाजे पर एक दस्तक सुनाई देती है
11:02संदूग को रखकर वो दर्वाजा खोलने के लिए जाता है
11:13ये बहुत चक्के रह जाते हैं
11:16ये क्या है? कैसे?
11:18कहों से? कब से?
11:21क्या काम है? अब क्यों आये हो यहाँ?
11:24प्रधान जी
11:26प्रधान भी घर के अंदर आ जाता है
11:29क्या है? आप तीनों को अब क्या चाहिए मुझसे?
11:33दिव्या, दिव्या है ये भवन
11:35कहाँ से तुम्हें मिला ये?
11:38तुमसे मतलब अपने काम से काम रखो
11:41और अब चले जाओ यहाँ से
11:43इस घर पर मैं कभ्जा कर लूँगा कुछ दिनों में
11:46और ये संदूक जो वहाँ दिख रहा है ना
11:49इसमें लगता है बहुत पैसे रखे होंगे इसने
11:52हाँ प्रधान जी सही कह रहे हैं
11:55वैसा ही संदूक है जैसा ये ले कर आया था
11:59हमें लगा बस एक है इसके पास
12:02पर इसने तो दूसरा भी छुपा रखा था
12:05इतना दिव्य खोफया महल
12:08मेरे जैसे प्रधान के लिए ही बना है
12:10मेरे जैसे प्रधान के लिए ही बना है
12:13और ये संदूक इस महल के साथ मिल रही है भाई वाह
12:18चल ये इसे खोलते हैं प्रधान जी
12:21नहीं इसे मत छूओ इसे बस मैं खोल सकता हूँ
12:26अगर किसी और ने खोलने की कोशिश की तो पता नहीं क्या हो जाएगा
12:30बेवकूफ समझा है क्या
12:34लच्छो की बात काट कर प्रधान ललित और मोहित उस संदूक को खोलते हैं
12:41और जैसे ही वो उसे खोलते है वो तीनो को अंदर खीच लेता है
12:47लच्छो उन तीनो को देखता रह जाता है
12:50और फिर डर से तुरण संदूक को खोल कर देखने लगता है
12:55उस संदूक में बस हीरे और जवारात ही मिले
12:59और वो तीनो कहा चले गए इसका कुई पता नहीं चला
13:04तब से लच्छो अपने खूफिया महल में रहने लगा
13:08सूखापुर गाउ में दिनेश नाम का एक लालची किसान रहा करता था
13:14सूखापुर गाउ रेगिस्तान में बसा हुआ था
13:17उस गाउ में वर्षा ना के बराबर होती थी
13:21गाउ के लोग गर्मी और सूखे की वज़ा से बहुत ज्यादा परेशान रहा करते थे
13:26दिनेश के लालच पन की वज़ा से उसकी पतनी रश्मी उससे बहुत परेशान रहती थी
13:33एक तो हमारे गाउ में वैसे भी सूखे का अकाल पड़ा हुआ है
13:37उपर से तुम्हारा लालच समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा
13:41बकवास मत करो रश्मी हमारा गाउ वैसे भी रेगिस्तान में बसा हुआ है
13:47और रेगिस्तान में हर महिने बारिश तो होती नहीं है
13:50लेकिन मैंने सुना है कि पहले हमारा सूखापुर गाउ हर्याली से भरा हुआ था
13:54और यहाँ पर बहुत अच्छी वर्षा भी हुआ करती थी
13:58हाँ हाँ वो घिसी पिटी कहानी मैंने भी सुनी है
14:01कि उस समय गाउ में किसी इंसान के लालच की वज़े से
14:04किसी दैविय शक्ती वाले पुरुष ने गाउ वालो को शाप दे दिया
14:07और उस दिन से इस गाउ में हर्याली की जगए रेथ ही रेथ है
14:12यह बिलकुल सही बात है जी आपको इस बात का मज़ाब नहीं उड़ाना चाहिए
14:17देखो मुझे तुम्हारी बकवास सुनने में कोई दिल्चस्पी नहीं है
14:20अगर तुम मेरे दहन कमाने को लालत समझती हो तो समझती रहो
14:24नाहीं मुझे तुम से फर्क पड़ता है और नाहीं गाउ वालो से
14:27इतना कहकर दिनेश क्रोधित होता हुआ अपने घर से बाहर निकल गया
14:32वो घर से कुछ ही दूर चला था कि तब ही गाउ का मुख्या दिनेश को देख गया
14:38दिनेश मुख्या से नजर बचा कर छुपने ही वाला था
14:43कि तब ही मुख्या की आवास उसके कानों में टकराई
14:46ऐसे मुझ छुपा कर भागने से कोई लाब नहीं दिनेश
14:49कोई ऐसा काम क्यों नहीं करते कि कभी अगर मुझ से बात करो तो आँख से आँख मिला सको
14:56ऐसे कोई बात नहीं है मुख्या जी मैं बस आपको देख नहीं पाया था
15:00जूट मत बोलो दिनेश मैंने साफ साफ देखा कि तुम नजर बचा कर मुझ से भाग रहे थे
15:06मैं अप से क्यों भागूंगा मुख्या जी क्योंकि परसो ही मुझ से बिर्जू ने तुम्हारी शिकायत की थी
15:13उसने कहा था कि तुमने कुछ रुपियों के लालश में अपनी बेकार की वस्तू सही बता कर उसे बेश दी
15:18ये बिल्कुल अच्छी बात नहीं है बिर्जू एक गरीब किसान है वद भुलो कि तुम भी एक किसान ही हो
15:26मैं किसान के साथ साथ एक चोटा व्यापारी भी हूँ और मुख्या जी व्यापार में इतना तो चलता है और वैसे भी बिर्जू कोई दूद पिता बच्चा तो था नहीं वो एक 26 वर्षिय हट्टा कट्टा नौजवान है
15:38मैं इस गाओं का मुख्या हूँ दिनेश सर्व तुम्हारी पत्नी की शक्ले देखकर मैं चुप रहता हूँ क्योंकि उसका वेवहार बहुत अच्छा है अगर तुम्हारी पत्नी का चेहरा नहीं होता न तो तुम्हे इस गाओं से धक्के देकर भार निकाल देता आप गा�
16:08जाये जाकर किसी कोट में मेरे नाम का मेरे खिलाफ मुकत्मा दाखर करा देजी
16:13इतना कहकर दिनेश वहाँ से चला गया और मुख्या घुस्से से दाद पीसता हुआ बोला
16:20बता नहीं ये अपने आपको समझता क्या है एक दिन मैं इसे सबक सिखा कर रहूंगा
16:27दरसल दिनेश एक लालची किसम का किसान था वो खेती करने के अलाबा तरह तरह की शहर से बेकार की वस्तवे खरीद कर ला था
16:37और गाऊन वालो को सही बता कर उनसे अच्छी कीमत वसूल था और उन्हें मूर्ख बना देता
16:44दिनेश एक छोटी से रेद के टीले पर बैठ कर बोला ये मुख्या अपने आप को पता नहीं क्या समझता है जिस दिन मैं अधिक धन कमाने में सफल हो गया उस दिन मैं सुवें गाऊन का मुख्या बनूँगा और ये इमानदारी जैसे बेकार के नियम भाड कर फेक दूँ
17:14मैं तुम्हारी बाते सुन रहा था तुम एक लालची व्यक्ति हो और मुझे लालची इंसान बहुत पसंद है
17:23तुम मुझसे चाहते क्या हो? तुम चाहो तो अपने गाऊन में वर्षः करवा सकते हो
17:29वर्षा करवा सकते हो, वो कैसे?
17:32मैं तुम्हें उसकी शक्ती दूँगा
17:34लेकिन उसके पदले तुम्हें गाँवालों से
17:37अधिक धन वसूलना होगा
17:39और अपने लालज को कभी भी समाप्त नहीं होने दिना होगा
17:44लालज की यही खासियत होती है
17:46कि वो कभी भी कम नहीं होता
17:48लालज हमेशा बढ़ता ही रहता है
17:50यह तुमने बिलकुल सही कहा
17:53अगर मुझे कुछ ऐसा मिल जाता है
17:55जिससे मैं अपने सुखापुर गाँ में वर्षा करवा सकता हूँ
17:58तो तुम्हें अन्दाजा भी नहीं कि मैं कितना धन्वान हो सकता हूँ
18:01देखते देखते एक तरह से
18:03मैं गाँव का राजा बन जाऊँगा
18:05दिनेश की बात सुनकर उस रेत के व्यक्ति ने
18:08कुछ रेत दिनेश को पकड़ा दी
18:10ये लो ये जादूई रेत है
18:13जब भी तुम इस रेत में से कुछ रेत
18:16अपने गाँव में फेकोंगे
18:18तुम्हारे गाँव में वर्षा होना प्रारंब हो जाएगी
18:23मगर याद रखना
18:24अगर तुमने गलति से भी साथा रेत
18:27समीन पर फेक दी
18:29तो तुम्हें अन्दाजा भी नहीं है
18:31कि तुम्हारे गाँव में क्या होगा
18:33अब जाओ यहां से
18:35दिनेश वहां से चला गया
18:37दिनेश के जाते ही
18:39वो व्यक्ति हसते हुए बोला
18:42मूर्ख कहीं का
18:44कितने समय पाद सुखापर गाँव में
18:47एक लालची व्यक्ति मुझे मिला है
18:50अब समय आया है
18:52पुराना बतला लेने का
18:55यह व्यक्ति अपने ही गाँव को बरबात कर देगा
18:59दिनेश उस रेथ को लेकर
19:00सीधा अपने गाँव पहुँच गया
19:02और सारे गाँवालों को इकतरित करते हुए बोला
19:06गाँवालों
19:07क्या तुम चाते हो कि
19:08हमारे सुखा पर गाँव में वर्षा होना प्रारंब हो जाए
19:11यह तुम कैसी बाते कर रहे हो
19:13कौन नहीं चाहेगा कि यहाँ पर वर्षा हो
19:15और यहाँ रेथ की जगए हर्याली आ जाए
19:18मेरे पास एक ऐसी शक्ती है कि
19:20अगर मैं चाहूँ तो इस गाँव में वर्षा हो सकती है
19:22लेकिन तुम्हें उसके बदले
19:24अपनी सारी संपत्ती मेरे नाम करनी होगी
19:26वर्षा के बाद हर्याली होगी
19:28और तुम्हारी बंजर जमीन
19:30उगजाओ हो जाएगी
19:32उस जमीन में तुम जो भी फसल उगाओगे
19:34वो सारी फसल मेरी होगी
19:36लगता है तुम पागल हो गए हो दिनेश
19:38जरूर तुम्हारा ये गाँव के
19:40लोगों को ठगने का निया तरीका होगा
19:42नहीं मुख्याजी
19:44ये मेरे ठगने का कोई निया तरीका नहीं है
19:46बलकि ये सत्य है
19:48वैसे तो मैं तुम्हारी किसी भी बाद पर
19:50भरूसा करना नहीं चाहता
19:52लेकिन अगर गाँवालों का भला होता है
19:54तो मैं साथ देने के लिए तयार हूँ
19:56मेरी इस गाँव में जितनी भी जमीन पड़ी है
19:58भुप जाओ होने के बाद
20:00ये तो तुम्हें कमाल कर दिया दिनेश
20:02तुम्हें ये चमतकारी क्षीज कहाँ से मिली
20:04अपने काम से काम रखो
20:06अपने काम से काम रखो
20:08अपने काम से काम रखो
20:10अपने काम से काम रखो
20:12अपने काम से काम रखो
20:14अपने काम से काम रखो
20:16अपने काम से काम रखो
20:30अपने काम से काम रखो
20:32अपने काम से काम रखो
20:34अपने काम से काम रखो
20:36अपने काम से काम रखो
20:38अपने काम से काम रखो
20:40अपने काम से काम रखो
20:42अपने काम से काम रखो
20:44अपने काम से काम रखो
20:46अपने काम से काम रखो
20:48अपने काम से काम रखो
20:50अपने काम से काम रखो
20:52अपने काम से काम रखो
20:54अपने काम से काम रखो
20:56अपने काम से काम रखो
20:58अपने काम से काम रखो
21:00अपने काम से काम रखो
21:02अपने काम से काम रखो
21:04अपने काम से काम रखो
21:06अपने काम से काम रखो
21:08अपने काम से काम रखो
21:10जब तुम्हारा पति देखते ही देखते
21:12बहुत अधिक धन्वान हो जाएगा न
21:14तब तुम्हें स्वयम पता चल जाएगा
21:16कि लालच बुरी चीज नहीं
21:18बलकि बहुत अच्छी चीज है
21:20दिनेश वहां से बाहर निकल गया
21:22कुछी दिनों में गाउं की जमीन
21:24थोड़ी सी हरी भरी हो गई
21:26मगर बैसी नहीं हुई
21:28जैसा की दिनेश चाहता था
21:30दिनेश एक लालची व्यक्ति था
21:32वो अपने आप से बढ़बड़ाता हुआ बोला
21:34लगता है गाउं में वर्षा कम होई है
21:36एक काम करता हूँ
21:38ये सारी की सारी रेत मैं
21:40जमीन पर फेंग देता हूँ
21:42बहुत जादा वर्षा होने पर
21:44यहां की जमीन बहुत जादा उपजाओ हो जाएगी
21:46इतना बोलकर दिनेश ने
21:48वो सारी की सारी रेत
21:50जमीन पर फेंग दी
21:52मगर अगले ही पल एक तेज़ धमाका हुआ
21:54और देखते ही देखते
21:56गाउं में बर्फ की बाड आ गई
21:58और कुछी दिनों में
22:00गाउं का जीवन तहस नहस हो गया
22:02गाउं में अब बहुत जादा सर्दी बढ़ने लगी
22:04सारे घर नष्ट हो गए
22:06ये सब देखकर दिनेश उस
22:08रेत के टीले के पास पहुँच गया
22:11ये सब देखकर दिनेश उस
22:13रेत के टीले के पास पहुँच गया
22:30कुछी पलों में वही रेत का व्यक्ति
22:32दिनेश के सामने आ गया
22:40कुछी पलों में वही रेत का व्यक्ति
22:42दिनेश के सामने आ गया
23:10कुछी पलों में वही रेत का व्यक्ति
23:12दिनेश के सामने आ गया
23:40कुछी पलों में वही रेत का व्यक्ति
23:42दिनेश के सामने आ गया
24:10गाँवालो अमारे घर तो तबा हो चुके है
24:12तुम सब बोरो
24:14और रूई से गुदरी के घर बनाओ
24:16ता कि तुमें थंड में
24:18थोड़ा सुकोन मिले
24:20गाँवालो ने ऐसा ही किया
24:22दिनेश के कहे अनुसार
24:24वो सभी बोरे और रूई मिलाकर
24:26जोपडी गुदरी के घर
24:28बनाने लगे
24:30गाँवालो को इस से बहुत
24:32ज्यादा राहत मिली
24:34तमारे अंदर का बदलाव देखकर
24:36मुझे अच्छा लग रहा है दिनेश
24:38लेकिन गाँवालो को अभी पूरी तरह से
24:40राहत मिली नहीं है अभी भी कुछ
24:42है जो बे घर है
24:44मिरे पास एक उपाय है मुख्या जी
24:46क्यों ना आप ट्रेक्टर के ट्रॉली को
24:48उल्टा करके उससे एक घर बनाए
24:50उससे होगा ये कि
24:52घर गर्म भी रहेगा और घर
24:54का घर भी हो जाएगा
24:56वाकित तमारे दिमाग का तो जवाब नही
24:58अगर यही दिमाग तम अच्छे कामों
25:00में लगाते तो आज बहुत
25:02सफल होते
25:04मुख्या ने गाओं में यही एलान कर दिया
25:06गाओं वालो का जीवन
25:08कुछ दिनों तक ऐसे ही
25:10चलता रहा मगर एक दिन
25:12अजीब घटना हुई
25:14देखते ही देखते गाओं
25:16मुख्या दिनेश के पास आकर बोला
25:18दिनेश ये सब कुछ कैसे हुआ
25:20पता नहीं मुख्या चाचा
25:22मेरी भी कुछ समझ में नहीं आरा
25:24चलो चलकर देखते है
25:26दिनेश अपनी पत्मी सहित
25:28मुख्या के साथ बाहर आगया
25:30पूरे गाओं में जशन का माहौल था
25:47आप सही कहते हैं मुख्या चाचा
25:49शायद ईश्वर ने मुझे शमा कर दिया
25:52तब ही दिनेश के कानों में
25:54किसी बुसुर्ग व्यक्ति की आवास तक्राई
25:58ये सब तुम्हारा ही कमाल है दिनेश
26:00कौन है आप
26:02और मैंने आपको पहचाना नहीं
26:04मैं भी इसी गाओं का व्यक्ति हूँ
26:06वर्षों पहले इस गाओं को एक शाप मिला था
26:08उस शाप को दिनेश ने तोड़ा है
26:12मुझे तो अबे भी ये बात समझ में नहीं आ रही
26:14आप है कौन
26:16बहुत समय पहले की बात है
26:18एक साधो इस गाओं में आय थे
26:20साधो के पास कुछ मोती थे
26:22जो उसे शहर में किसी को देने थे
26:26बगर गाओं के मुख्या के नियत खराब हो गई
26:28मुख्या ने साधो के वो मोती चुरा लिये
26:32गुस्से में आकर साधो ने
26:34मुख्या सहेद इस पूरी गाओं को शाप दे दिया
26:36कि ये पूरा गाओं रेत में परिवर्टित हो जाए
26:40और वही हुआ
26:42हाँ लेकिन इससे मिरा क्या लेना देना
26:44गाओं वाले उस साधो के सामने बहुत गिरगडाए
26:48तब साधो ने कहा कि
26:50किस गाओं में कोई ऐसा लालची व्यक्ति
26:52जिसके लालच की कोई सीमा ना हो
26:54जब वो सुधर जाएगा
26:58और उसके दिल में गाओं के लोगों के लिए
27:00बढ़ाई जन्म लेगी
27:02और उसका लालच समाप्त हो जाएगा
27:04उस दिन उसका शाप तूट जाएगा
27:06और फिर वही हुआ
27:08इतना कहकर वो व्यक्ति
27:10वहाँ से चला गया
27:12और गाओं में सब ही लोग
27:14खुशी खुशी रहने लगे

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