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कार्टून Chidiya Wala Cartoon|Tuni Chidiya Cartoon | Hindi Cartoon Kahani
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Transcript
00:00रात के समे तेज बारिश में मम्मा और पापा जड़िया अपने तिंकों के घोंजले में अपनी बिटी के साथ बैठे हुए थे।
00:12उड़िया के पापा आखिर कम तक ये पत्तुं का चफ़पड हमें बारिश से बचाएगा?
00:18अगर दूसरे बक्षियों की तरहां हमारा भी पक्का लकडियों का घर होता तो आज हमें कोई चिंता ना होती।
00:24आप चिंता ना करो अगर हाला जादा खराब हुए तो पिशले महले में मेरा एक दोस्त रहता है हम गुर्या को लेकर मेरे दोस्त के घर चले जाएंगे।
00:33आज कोन किसी की मदद करता है। वो मेरा बच्पन का दोस्त है। अम्मा मेरे पांख भीग रहे हैं मुझे ठंड लग रही है।
00:43मेरे पास आ जाओ बेटी मैं आपको अपने पंखों में ले लेती हूँ। फिर ममा चुरिया अपनी बेटी को अपने पंखों में लपेट कर बैठ जाती है।
00:52थोड़ी देर भाद गुर्या सो जाती है। और बापा चुरिया भी बैठे बैठे ही सो जाता है।
00:59बगर मा चुरिया जाग रही थी वो बहुत डरी हुई थी। जब आसमान से बिजली की घरचमक आती तो ममा चुरिया एक तम से चौंक जाती।
01:10सुभा हो जाती है। मैं खाने को कुछ ले कर आता हूँ आप गुर्या का दिहां ढखना।
01:16पापा जुढ़िया घॉंसले से निकलता है। तोदा अपना सामान उठाए घर के बाहर बैठा हुआ था।
01:24मूठू तुम कहा जा रहे हो। मेरे घर की चाते टपक रही है और कल मौसम की जानकारी देने वाला टक्षी मिला था।
01:32उसने बताया कि ये बाढशें अभी के दिन चलेंगी। इसलिए मैं अपनी बेहन के पास दूसरे जंगल जा रहा हूँ।
01:39ये सुनकर पापा जुडिया परेशान हो जाता है। पापा जुडिया दाना लेने जाने की बढ़ जाये वापिस अपने घोंसले की तरफ चला जाता है।
01:50क्या बात है आप परेशान क्यों है और इतनी चलती वापिस आगे।
01:55मुझे तोटे ने बताया है कि ये बारशे अभी कई दिन चलेंगी।
01:59मैंने आप से कहा था कि ये हमारा पत्तों का चपर ज्यादा देर तक ढिकने वाला नहीं है। कुछ करो।
02:06कुछ करो, कुछ करो, क्या करूं मैं। तुम ही बताओ।
02:10पापा लेड़ें तो न ये वक्त आपस में भैस करने का नहीं है। वो जो तुम्हारा बच्पन का दोस्त है उसका घर कहा है हम वहाँ चले जाते हैं।
02:21मैं भी यही सोच रहा था।
02:23फिर मम्मा चुडिया अपनी बेटी को उधाती है और दोनों मम्मा और पापा चुडिया वहाँ से उड़ जाते हैं।
02:32वो अपने घर से इशले वाले महले में आते हैं। शायद यही घर है मेरे दोस्त का।
02:39पापा चुडिया ऐसे कहते हुए दर्वाजे पर तस्तक देता है। थोड़ी देर बाद अंदर से एक बच्ची बाहर आता है।
02:47आप घर में ही हो अच्छा ही हुआ। ऐसे मोसम में सब अपने अपने घरों में ही होते हैं। मैंने कहा जाना था।
02:54टन्नू यार मेरा पत्तों का चपर टपकने लगा है। तुम्हें तो बता है मेरा दिंपों का गुहंसला है।
03:01बहुत मुश्किल हो गया था गुरिया के लिए वहां रहना। बारिश के रुकने तक आप हमें अपने घर में।
03:08यह घर दो पक्षियों के लिए बना हुआ है। एक मैं और एक मेरी पतनी।
03:12जादा बोज बरदाश करने लाईक नहीं है यह घर। माफ करना दोस्ट, मैं तुम्हारी कोई मदब नहीं कर सकता।
03:19एक बार आपको याद होगा।
03:21मगर गुर्या के पापा का दोस्ट दर्वाजा बंद करके घर चला जाता है। गुर्या का पापा अपनी पतनी की दरफ देखकर बहुत शर्मेदा था।
03:32इसमें आपका कोई दोस्ट नहीं है। समय आने पर सब ऐसे ही करते हैं।
03:37अब यहां बारिश में भीगने से अच्छा है हम मेरी बहन के पास चले जाते हैं। उसका घर भी तो पास ही है।
03:44वो क्या सोचेगा तुम्हारा जीज़ाजी।
03:47सोचना क्या है जब लाडो ने घर बनाया था तो मैंने दो दिन वहां रहकर काम करवाया था उसके साथ।
04:08जी जी बदाये क्या लोग है रोटी, नाँ, चले, समोसा, पकोड़ा सब है मेरे पास।
04:14नहीं नहीं हम तो हवा से बचने के लिए थोड़ी दिल के लिए यहां रुके हैं।
04:19अच्छा अच्छा तो फिर ये कुर्सियों खाली करो और वहां चपरे के नीचे बैठ जाओ, मेरा कोई ग्राहग भी आ सकता है।
04:27वह कुर्सियों से उठ कर चपर के नीचे बैठ जाते हैं।
04:31गुरिया को भूँत लगी हुई थी, वह खाने की जीज़ों के तरफ देखे जा रही थी।
04:36मम्मा और पापा चुरिया जानते थे, मगर वह चुब थे, आखिर गुरिया बोल दी है।
04:43पापा मुझे कुछ खाने को ले दे।
04:46बेटी हमारे पास क्या है, जो आपको कुछ ले कर दे।
04:50कुछ पक्षी अच्छे भी होते हैं, मैं जाती हूँ और बात करती हूँ।
04:54चुरिया धाबे वाले पक्षी के पास जाती है।
04:58मेरी बेटी को भूग लगी हुई है, पैसे भी नहीं है हमारे पास, थोड़ा खाना अगर मिल जाता तो।
05:05वो सामने टूटी के पास बरतन पड़े है, अगर तुम वो बरतन साफ करतो, तो फिर मैं तुम्हारी बेटी के लिए खाना दे सकता हूँ।
05:13चिरिया खुश हो जाती है और टूटी के पास जाकर वो बरतन धाने लगती है।
05:19पापा, क्या खाना लेने से पहले बरतन धाने ज़रूरी है?
05:24पापा चिरिया खामोश था और अपना मूँ दूसरी तरफ कर लेता है।
05:30ममा चिरिया बरतन साफ करती है और धाबे वाला पक्षी चिरिया को एक समोसा दे देता है।
05:36खालो खालो मेरी बेटी दिहान से गरम है चोंच ना चला लेना।
05:41थोड़ी देड के बाद हवा रुक जाती है।
05:45गुर्या के पापा हवा रुके है ये बारिष तो शायद अभी ना रुके अब हमें यहां से जाना होगा रात भी होने वाली है।
05:53हाँ मैं उठाता हूँ गुर्या को
05:56गुर्या को उठा लेता है और वो सब वहाँ से उड़ते हैं।
06:00रास्ते में जाते हुए एक कवी उन्हें बुलाती है।
06:04आप बारिष में कहा जा रहे हो यहां जाओ बारिष बहुत तेज है।
06:09चिरियाओं का परिपार रुकता है।
06:12कवी बहुत बहुत शुक्रिया वो सामने मेरी बहन का घर है
06:16हम बारिष के रुकने तक बहा रुकेंगे।
06:19रानो रानो चुडिया नाम है ना तुम्हारा
06:22एक बार जब मेरा बेटा बिमार था तो तुम ने मदद की थी मेरी।
06:27हाँ मुझे याद है वो सब फिर से उड़ जाते हैं
06:32मम्मा चुडिया दर्वाजे पर दस्तक देती है
06:35अंदर से रानो की बहन बाहर आती है
06:38रानो खुश हो जाती है
06:41लाडो बहन बहुत मुश्किल है
06:43खॉंसले का चपर टपकने लगा
06:45किसी ने मदद ना की और हम यहाँ आगे
06:48जब जान की पड़ी हो तो सबको अपने अपनी जेनता होती है
06:52मेरा तो अपना घर बहुत गंजोर है
06:55हाँ तुम अपनी बेटी के साथ आजाओ
06:57मैं सबको नहीं रख सकती
06:59यह संकर ममा जुरिया की आँखों में आंसू आ जाते है
07:03लाडो मेरी बेहन तुम तो मेरी अपनी हो
07:07इसलिए तो यह ओफर दे रही हूँ
07:09वरना कौन किसी को अपने घर में रखता है
07:12गुरिया की मम्मा आप चले जाएं गुरिया को ले कर
07:15मैं वहाँ सामने डाल पर बैठ जाता हूँ
07:18नहीं गुरिया के पापा हम आपको ऐसे छोड़ कर नहीं जा सकते
07:22शुक्रिया बेहन दोस्तों से एतबार तो बहले ही उठ गया था
07:27खुन के रिष्टों का भी पता चल गया
07:29मैंने बहले ही आपसे कहा था के आ मेरे घर आ जाये
07:33मेरा घर बड़ा और मस्बूत है
07:36आपका पती कालू कालू कवा कहा है
07:39पिशली बरसात में चील के घर गलती से चोरी करने चला गया बेजारा
07:44चील ने पांख कार दिये और दो मीने पाद मर गया मेरा कालू
07:50फिर गुर्या जगू से खेलने लगती है
07:53जब किसी ने हमारी मदब ना की तो आपने अजनबी होकर हमारी मदब की
07:58बहुत बहुत शुक्रिया आपका
08:00अपनों और बेकानों का ऐसे वक्त में ही पता चलता है
08:04आप जब तक चाहें यहां रह सकते है

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