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In October 1962, India faced a surprise attack by China in Arunachal Pradesh, resulting in a crushing defeat. This video explores the events leading to the war and the battles in the eastern and western sectors. India's unpreparedness, coupled with China's superior numbers, led to a ceasefire and territorial changes. The war had significant political repercussions, with President Radhakrishnan criticising Nehru's government. While India acknowledged its mistakes, the unresolved border issues continue to influence Sino-Indian relations today. After exploring the war's origins in Part 1, Dhruv Rathee now delves into India's preparations and challenges. Learn how this historic conflict shaped the course of history in this video.

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00:00नमसकार दोस्तें, 10 अक्टूबर साल 1962, सुभए के करीब 8 बजें
00:04अरुनाचल प्रदेश के बॉर्डर पर मौजूद ठगला रिज में
00:07हमारे फोजी रोजमर्रा की अक्टिविटीज में बिजी थे
00:10तब यचानक से चाइना के ट्रूप्स भारी तदाध में हमला बोल देते हैं
00:16उस पोश्ट पर सिरफ 56 इंडियन सोलजर्स मौजूद थे उस दिन
00:19और चाइना की तरफ से 600 ट्रूप्स जिनोंने हमला बोला था
00:23फिर भी ये 56 सोलजर्स इस एटैक को होल्ड औफ करने में सक्सेस्फुल रहते हैं
00:27लेकिन करीब 1.5 घंटे बाद, 9.30 बजे चाइनीज ट्रूप्स की तरफ से एक दूसरा हमला किया जाता है
00:35इस बारी मोटार फायर की बंबारी भी होने लगती है
00:37इंडियन सोलजर्स विल्कुल भी प्रिपेड नहीं थे एक जंग लडने के लिए
00:41कुछी घंटो बाद चाइनीज की तरफ से एक तीसरा हमला किया जाता है
00:48और इस बार कोई उप्शन नहीं बचता विट्ड्रॉओ करने के लावा
00:52इस इंसेडन्ट के करीब दस दिन बाद, 20 उक्टॉबर को ओफिशली शुरू होती है
00:56वार नाइंडिया-चाइना वार अफ नाइंडिया-62
01:01ये इतिहास में इकलोती फुलफलेस्ट वार है जो इन दो देशों के बीच लड़ी गई
01:05और इकलोती वार जो हिंडिया हारा
01:07आखिर क्या कारंड इसके बीच है?
01:09आएँ जानते हैं पूरी कहाणी आज के इस वीडियो में
01:20ये वीडियो मेरा सेकिन पार्ट है 1962-62 वार सीरीज का
01:23इससे पिछले वीडियो मैंने समझाया था कि
01:25वार शुरू होने से पहले क्या-क्या हुआ था?
01:27कैसे हिंडी-चीनी भाई-भाई के नारे लगाय जाते थे
01:30दोनों देशों ने एक दूसरे की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने की कुशिश करी थी
01:34लेकिन फिर देखते ही देखते
01:35कैसे हालात बद से बत्तर हो गया
01:37आपने नहीं देखा है तो उस वीडियो का लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में है
01:40अब हम दस ओक्टूबर वाले हमले की बात करें
01:42तो इसके बीचे दो में कारण बताय जाते हैं
01:45कि चाइनीश फोर्सेज ने इंडिया पर हमला क्यूं किया?
01:48पहला, चाइना को शक था कि टिबिट के रीजन में
01:50इंडिया काफी दखल अंदाजी करने वाला है
01:53हाला कि ये शक गलत था
01:54इंडिया का कोई भी इंटेंशन नहीं था
01:57एक्सपर्ट्स का मानना था कि चाइना की तरफ से
01:59ये पर्सेप्चियन बहुत गलत निकले
02:01इंडिया की प्रयारिटी उस वक्त अपने देश को डेवलब करने की थी
02:04लेकिन चाइना का ये शक इसलिए पैदा हुआ
02:06क्यूंकि 1959 में दलाई लामा को
02:10इंडिया ने रेफ्यूज दी थी
02:16दूसरा कारण था डिस्प्यूटिट रीजन्स में
02:18इंडिया के एगरेशन को काउंटर करने
02:20इस कारण को लेकर एक्सपर्ट्स मानते हैं
02:22कि ये एक रीजिनेबल पर्सेप्चियन था चाइना का
02:24पार्ट वन वीडियो में मैंने आपको बताया था
02:26कैसे प्रधान मंत्री नेहरू ने
02:28फॉरवर्ड पॉलिसी अपनाई थे
02:29इसके तहत इंडियन सोलजर्स जाकर
02:31धीरे धीरे उस टेरेटरी को
02:33उक्यूपाई कर रहे थे जिसे हम अपना मानते थे
02:35अमेरिका की C.I.A. का मानना था
02:37कि चाइना के हमला करने के पीछे
02:39यही में प्राइमरी कंसिडरेशन था
02:41चाइना जिस जमीन को अपना मानता था
02:43चाइनीज फोर्सिस इंडियनस को
02:45पनिश करना चाती थी उस जमीन पर आने के लिए
02:47और यही कारण था कि 10 उक्टूबर
02:491962 ठगला रिज़ पर
02:51हमारे सोलजर्स को एक दरदनाक
02:53हमला देखना पड़ा. लेकिन दोस्तों
02:55चाइना की तरफ से यह कोई रैंडम हमला नहीं था
02:57चाइनीज स्ट्राटेजिकली प्लैन बना रहे थे
02:59इंडियन फोरसेज को काउंटर करने का
03:01ठगला रिज़ पर इंडिया ने अपना
03:03खुद का एक प्लैन बनाय था जिसे ओपरेशिन
03:05लेग हौन का नाम दिया गया था. इसे
03:07लीड कर रहे थे सेवन्थ ब्रिगेट के
03:09कमांडर ब्रिगेडियर जॉन डालवी
03:11इस ओपरेशिन का मक्सद था चाइनी सोलजर्स
03:13को ठगला रिज़ से बाहर निकालना
03:15लेकिन जियादा लड़ाई एकस्पेक्ट नहीं करी
03:17जा रही थी. इस प्लैन को एक्शन में लाते
03:19वक पुछ दिन पहले 20 सेप्टेंबर को
03:21मोटी-मोटी फायरिंग अलड़ी देखने को मिल रही थी.
03:23उस चाइनी सोलजर्स ने ग्रेनेट्स भी
03:25फेके थी इंडियन फोर्सिस के उपर.
03:27इसे देखकर ये बात अलड़ी क्लियर हो चुकी थी
03:29कि चाइना एक मेसेज पहुंचाना
03:31चाहता है एंडिया को. कि एंडिया की जो
03:33री औक्योःपेशन स्टाटेजी है.
03:35उसका जवाब वो चुपी से नहीं देगा.
03:37Operation Leghorn को लेकर चाइना की
03:39डिफेंस मिनिस्टर लिन बायाओ ने
03:416th October को एक ब्रीफिंग में
03:43बताया कि चाइनीस फोर्सिस
03:45हमला एकस्टेक्ट कर रही थी 10 उक्टूबर को.
03:47सही सुना आपने.
03:49चाइनीस फोर्सिस को लग रहा था कि 10 उक्टूबर को
03:51इंडियन फोर्सिस उन पर हमला करेंगी.
03:53चाइना की डिफेंस मिनिस्टर ने बात जाकर
03:55चाइना की डिक्टेटर Mao Zedong को बताई
03:57तो ये सुनकर उन्होंने कहा
03:59जैसा हमने एकस्टेक्ट किया था
04:03नेहरू चाहता है कि हम फोर्स का इस्तिमाल करेंगी.
04:05ये कोई अजीब बात नहीं है
04:07देखकर हमेशा से ही लग रहा था
04:09कि नेहरू अकसाई चिन और ठगला रिज्ज पर
04:11कबजा जमाना चाहता है.
04:13नेहरू को लगता है कि उसे सब मिल जाएगा
04:15जो वो चाहता है. इसके चलते बीजिंग में
04:17एक बड़ी मिलिटरी मीटिंग बिठाई जाती है
04:19जहांपर चाइनीस लीडरशिप और चाइना का
04:21Central Military Council डिसाइड करता है
04:23कि एंडिया के खिलाफ
04:25जंग छेड़ी जाएगी. दूसरी तरफ
04:27एंडिया में एंडियन सरकार और
04:29एंडियन मिलिटरी अफिशल्स को बड़ा कॉंफिडेंस था
04:31कि चाइना की तरफ से
04:33कोई जंग नहीं छेड़ी जाएगी. इसलिए
04:35बड़ा के बराबर प्रेपरेशन्स करी गई थी
04:37इंडियन मिलिटरी की तरफ से. आर सौमिनाथन
04:39ने इस पेपर में लिखा है कि कैसे औगस
04:411962 में जो इंडिया के हाई रैंक
04:43मिलिटरी लीडर्स थे, उन्होंने चाइना के
04:45साथ वार को रूल आउट कर दिया था.
04:47In fact, September 1962 में भी
04:49Major General J S Dhillon ने कहा था
04:51कि previous experience से ये पढ़ा
04:53चलता है कि चाइनीज के उपर
04:55छोटे मोटे राउंट फायर करो, वो डर कर भाग जाते हैं.
04:57तो कोई चांस ही नहीं लगता कि
04:59वो हम पर एक जंग डिकलेर करेंगे.
05:01इसलिए दोस्तो जब पहला प्रॉपर हमला
05:03हुआ हमारी forces के उपर,
05:05बहुत ही unexpected था.
05:07Eastern Sector में तैनाथ 7th ब्रिगेट को
05:09almost 600 टन सप्लाइस की जरुवत थी
05:11अपना अटैक करने के लिए.
05:13लेकिन उनके पास 20% से भी
05:15कम सप्लाइस थी.
05:1710 October के हमले के बाद,
05:19इसलिए situation एक
05:21ticking time bomb की तरह थी.
05:23कभी भी कुछ भी हो सकता था.
05:2518 October, Chinese preparations और
05:27बड़े scale पर intensify हो जाती हैं.
05:2919 October को ये अपनी पीक पर पहुँच जाती है.
05:31कुछ 2000 Chinese soldiers
05:33count करे गए.
05:35ये रात में हमला करने के लिए भी
05:37prepare कर रहे थे.
05:39वो कहते हैं कि
05:41ये तो एक lost cause है.
05:43हम किसी भी हालत में prepared नहीं है
05:45और soldiers को यहां लड़ने भेजना
05:47एक death trap होगा.
05:49अगले दिन 20 October,
05:51सुभए के 5 बच के 14 minute.
05:53150 guns और mortars
05:55open fire करने लगती हैं.
06:017 खंटे के अंदर अंदर,
06:03दोपहर होने से पहले,
06:05पूरी तरीके से खटम थी.
06:07उस सुभे 493 जवान,
06:09इंडियन आर्मी के
06:11शहीद हो जाते हैं.
06:13ब्रिगेडियर जॉन डाल्वी को
06:15चाइनीज फोर्सेज के जवरा कैप्चर कर लिया जाता है.
06:17एक दिन में ही, जितनी भी
06:19disputed territories थी उस वक्त,
06:22लेकिन वो यहां रुकती नहीं है,
06:24बाकी के North-East Frontier Agency में
06:26आगे बढ़ती हैं. उनकी नज़र अब पढ़ती है,
06:28अरुनाचल प्रदेश में मौझूद,
06:30तवांग के शहर पर.
06:3110,000 feet पर मौझूद ये शहर,
06:33अरुनाचल प्रदेश की राजधानी,
06:35इटा नगर से करीब 445 km दूर हैं.
06:38यरुनाचल प्रदेश के Western-most region में
06:41लाइ करता है, जो region चाइना के साथ
06:43boundary share करता है North में
06:45और South-West में भुतान के साथ.
06:4724 October 1962,
06:49Chinese forces इस area को भी
06:51occupy कर लेती हैं.
06:52यहां पर रात के समय में भी
06:54हमला किया जाता है.
06:55और क्योंकि Chinese forces के पास यहां पर
06:57ना सिर्फ जियाद संख्या मौजूद थी,
06:59जियाद प्रिपेर्ट थे वो,
07:01बलकि यहां पर एक higher ground पर भी
07:03वो मौजूद थी.
07:04इसका मतलब था कि
07:05तवांग को बचा पाना नामुंकिन था.
07:07Indian forces यहां सही judgment लेती हैं
07:09और withdraw कर लेती हैं.
07:11अभी तक मैंने सिर्फ eastern sector की बात करी है,
07:13यानि अरुनाचल प्रदेश और भुतान के
07:15आसपास का जो region है.
07:17आई एक नज़र डालते हैं कि western sector में
07:19क्या चल रहा था?
07:20अकसाईचिन और लद्डाक के region में
07:22क्या हो रहा?
07:2319 October की रात को Chinese forces ने
07:25western sector में भी कई Indian post पर हमला बोला था.
07:28Specifically कहा जाये तो 14 Jammu and Kashmir
07:30Militias की जो post थी.
07:32Daulat Beg Oldie, Chipchap Valley
07:34और Galwan post पर.
07:36Daulat Beg Oldie के North में एक
07:38चांदनी नाम से post थी, जिसमें
07:40सिर्फ 30 Indian soldiers तैनाद थे.
07:42इस post पर हमला किया जाता है
07:44500 Chinese soldiers के दुआरा.
07:46यह 30 soldiers बड़ी बहादूरी से उस
07:48post को पूरे एक दिन तक
07:50डिफेंड करते हैं. लेकिन unfortunately
07:52सब के सब एक को छोड़कर
07:54शहीद हो जाते हैं.
07:56अगला दिन 20
07:58October, Chinese forces
08:00आसानी से Chipchap Valley,
08:02Galwan Valley और Pangong Lake
08:04पर कभजा जमा लेती हैं. जो एरिया
08:06सबसे ज्यादा ज़रूरी था इंडियन
08:08forces के लिए इस region में. वो था
08:10Chushul. 14,000 feet पर मौजूब
08:12यह एक चोटी सी सैंड की
08:14वैली थी. इसके नौर्थ में Pangong So Lake थी
08:16और यह एकलोती इंडियन पोस्ट थी
08:18लदाक रेंज के East में.
08:20इसकी बात मैं आगे करता हूँ. लेकिन इससे पहले
08:22टाइम लाइन में एक important चीज बतानी
08:24ज़रूरी है. अगर आप official
08:26dates देखोगे इस war की, बताय जाता है
08:28कि 20 October 1962 से लेकर
08:3021 November 1962 के बीच
08:32यह war लड़ी गई. टोटल में
08:3433 दिन. लेकिन इन 33 दिनों
08:36के बीच यह war लड़ी गई. टोटल में
08:3833 दिन. लेकिन इन 33 दिनों में से
08:40लगबख 2 हफ़ते ही थे
08:42जहांपर actual fighting देखने को मिली.
08:4424 October के बाद एक
08:46pause आजाता है लड़ाई में जो अगले 3
08:48हफ़ते तक चलता है. यह इसलिए क्योंकि
08:50Chinese Premier Zhou Enlai, प्रधान मंतरी
08:52नेहरू को एक चिठ्ठी लिखते हैं कुछ
08:54proposals देते हो. इस चिठ्ठी में 3 चीज़े
08:56लिखी जाती हैं. पहला, दोनों
08:58sides इस dispute को peacefully resolve
09:00करेंगे. दूसरा, दोनो
09:02sides की army 20 km
09:04दूर पीछे हट जाएंगी line of
09:06actual control से. और तीसरा,
09:08दोनो Prime Ministers दुबारा से मिलेंगे
09:10settlement reach करने के लिए.
09:12जहां ये बात mention करनी जरूरी है कि
09:14इस point of time पर चाइना का एक बहुत बड़ा
09:16upper hand था इस war में. जितने areas
09:18उन्होंने claim किये थे उन सब पर कभजा
09:20जमालिया था और इंडियन army को
09:22गहरा नुकसान भी पहुंचाया था. प्रधानमत्री
09:24नेहरू जब इस चिठ्ठी को पढ़ते हैं तो उन्हें
09:26चाइनीज पर भरोसा नहीं होता. उन्हें
09:28लगता है कि ये दुबारा से कोई चाल होगी
09:30चाइनीज की. वो जवाब में लिखते हैं
09:32कि चाइना की तरफ से बहुत सारी
09:34declarations की जा चुकी है कि वो
09:36border की situation को peacefully
09:38resolve करना चाहते हैं. लेकिन आज
09:40जो हो रहा है, ये violent contradiction
09:42है इन declarations का. कुछ
09:44दिन बाद, 4th November को चोव इनलाय
09:46नेहरू को लिखकर कहते हैं कि
09:48अकसाइच इनका region चाइना को दे दो
09:50और return में चाइना, McMohan
09:52line को Eastern sector में as boundary
09:54accept कर लेगा. पंडित नेहरू इस
09:56proposal को सीधा सीधा ठुकरा देते हैं.
09:5814th November को जवाब में वो लिखते हैं.
10:00चाइना एक बड़ा ही magnanimous offer
10:02दे रहा है. जो फायदा उन्हें पुराने
10:04aggression से हुआ है, वो उसे secure
10:06करेगा. प्लस latest aggression से
10:08जो फायदा हुआ है, वो उसे भी secure करेगा.
10:10थोड़ा सा sarcasm से भरा जवाब यहाँ.
10:12लेकिन एक चीज वो बड़े clearly कहते हैं.
10:14ये एक ऐसी demand है जिससे इंडिया
10:16कभी agree नहीं करेगा. Whatever the
10:18consequences may be. And however long
10:20and hard this struggle may be.
10:22चाहें जो हो जाए, इंडिया कभी
10:24वी इस demand को नहीं मानेगा.
10:26शित्थी वापस पहुचते ही, 14 नवेंबर
10:281962, पंडित नेहरू के
10:3073rd बर्दे पर,
10:32लड़ाई फिर से चालू हो जाती है.
10:34इस time लड़ाई अक्शुली में इंडिया की तरफ से
10:36पहली बार करी जाती है. एक
10:38counter attack. बताया जाता है
10:40कि पूरी वार में यह इकलो था
10:42counter attack था इंडिया की तरफ से. यह किया जाता है
10:44वालॉंग में. एक ऐसा शेहर
10:46जिसे चाइना के दौरा क्लेम किया जा रहा था.
10:48जहाँ छिरती है the battle
10:50of Walong. असल में तीन हफते का
10:52जो पॉज हुआ था, इसके बीच
10:54इंडिया को आसाम राइफल्स के कुछ सिपाहियों को
10:56rescue करना था. यह करते समय पाँच
10:58नवेंबर को इंडिया की कुछ
11:00forces एक बड़ी ही tactically
11:02important location को occupy कर लेती है.
11:04Green Pimple. यह एक पहाडी सी थी
11:06वालॉंग और किबीतू के बीच में.
11:08तो चौदा नवेंबर की सुभए जब ये जंग शुरू होती है,
11:10Six Kumaon Infantry
11:12counter attack को launch करती है.
11:14चार companies बनाई जाती हैं,
11:16Ad-Hoc Company, Captain BN Singh के अंडर,
11:18B Company, Major BN Sharma के अंडर,
11:20C Company को reserve के लिए रखा जाता है,
11:22और D Company को Green Pimple पे
11:24position किया जाता है. A और B
11:26Companies हमला बोलती हैं.
11:28इस जंग में heavy firing देखने को मिलती है,
11:30और Ad-Hoc Company अपने लक्षे से
11:32सिर्फ 20 मीटर दूर थी.
11:34लेकिन आगे नहीं बढ़ पाती. Heavy casualties
11:36और limited fire support की बज़ेस.
11:38Reserve team की मदद ली जाती है
11:40यहाँ पर, लेकिन इससे पहले की
11:42जियादा troops वहाँ पहुच पाते हैं.
11:44Chinese forces अटैक कर देते हैं इस position पर
11:46और धेरो फुमावनी
11:48troops शहीद हो जाते हैं.
11:50इस जंग के आखरी दिन पर, 16 नवेंबर की
11:52सुभह, Chinese forces के दुआरा एक बड़ा
11:54हमला बोला जाता है. Indian forces के पास
11:56यहाँ और कोई troops मुझूद नहीं थे,
11:58तो बचे कुछे troops को
12:00Chinese के दुआरा सराउंड कर लिया जाता है
12:02और वालॉंग, Chinese occupation
12:04के अंडर आ जाता है.
12:06Estimated 642 soldiers
12:08वालॉंग में शहीद हुए.
12:10इवन दो इंडिया ये जंग हार गया,
12:12आगे चल कर इतिहास में,
12:14चाइना ने इस जगहें को खाली कर दिया
12:16इंडिया के लिए. और वालॉंग की टेरिटरी
12:18आज के दिन इंडिया का हिस्सा है.
12:20इंडिया में one of the most eastern
12:22most places है ये आज के दिन.
12:24फिर आते हैं हम Western सेक्टर पर,
12:26से बहादुराना जंग लड़ी गई इस वार की.
12:28The Battle of Rezang La.
12:30Rezang La एक सोला हजार फूट
12:32हाइ फीचर है, चुशुल को
12:34डिफेंड करने के लिए एक बहुती इंपोर्टेंड जगहें
12:36क्योंकि अगर कोई भी इंडियार इस जगहें
12:38पार कर जाता है, तो वो ले तक
12:40असानी से जा सकता है.
12:4213th Battalion को काम दिया गया
12:44चुशुल को डिफेंड करने का.
12:46इनकी C Company में 117 सिपाही थे,
12:48जिनने कमांड किया जा रहा था
12:50Major Shaitaan Singh के द्वारा.
12:5218th November की सुभहे के गरीब 5 बजे,
12:54Chinese forces हमला बोलती है.
12:56तीन में से दो इंडियन प्लेटून जो वहाँ मौजूद थे,
12:58वो ओपन फायर करती है जब आप
13:00भारी Chinese casualties देखने को मिलती है.
13:02पहला अटेम्ट चाइनीज का
13:04फेल हो जाता है.
13:06चाइनीज फोर्सिस फिर भारी आर्टेलरी फायरिंग करना शुरू करती है.
13:08इंडियन टूप्स शेल्टर ले लेते हैं
13:10अपनी गोलियां बचाने के लिए.
13:12जब दुबारा से कोशिश करी जाती है
13:14चाइनीज फोर्सिस के दुबारा रेजांग ला को
13:16उक्यूपाइ करने की, तब इंडियन प्लेटून
13:18अपनी बची हुए गोलियां उन पर बर्साते हैं.
13:20इस गोलियों की बोचार के बाद
13:22करीब 20 चाइनीज टूप्स बचते हैं
13:24और करीब 12 इंडियन प्लेटून में टूप्स.
13:26दोनों साइड्स
13:28अपनी ट्रेंचिस से बाहर निकल कर
13:30हैंड टू हैंड लड़ाई करने लग जाती हैं.
13:32चाइना का ये दूसरा अटेम्ट
13:34भी फेल रहता है.
13:36इसके बाद तीसरी बार कोशिश करी जाती है
13:38चाइनीज फोर्सिस के द्वारा एंडियन पोजिशन्स पर
13:40हमला करने के. भारी संख्या
13:42आर्टिलिरी और मोटार की यूस करी जाती है
13:44और एवेंचुली चाइनीज आर्मी
13:46सक्सेस्फुल रहती है.
13:48हारने के बाद भी रेजांगला की ये जंग
13:50इतनी फेमस इसलिए है क्योंकि हमारे सोलजर्स
13:52जो बहादूरी दिखाई वो
13:54कमाल की थी. आखरी दम तक
14:12लड़ता रहा. कुछ इंडियन सोलजर्स
14:14को चाइनीज के दुआरा कैप्चर
14:16कर लिया जाता है. लेकिन जो जो
14:18सोलजर्स शहीद हुए थे इंडियन साइड
14:20की तरफ से. उन सब ने अपनी
14:22बंदूक खाली कर दी थी. कोई
14:25यही कारण की मेझर शैतान सिंग
14:27दूसरे भारतिये बन जाते हैं
14:29इतिहास में परमबीर चक्र
14:31से सम्मानित किये जाने वाली. देश का
14:33हाइएश्ट गलेंटरी अवार्ड. इस
14:35बैटल के दुरान वो चाइनीज फायरिंग के
14:37अंडर आकर भारी तरीके से जखमी
14:55दोनों सेक्टर्स में चाइनीज आर्मी
14:57आगे बढ़ती जा रही थी. प्रधान मंत्री
14:59नेहरू पूरे देश के सामने
15:01ओल इंडिया रेडियो पर एक ब्रॉडकास्ट करते हैं.
15:03भाईयो और बेहनों, भारी संक्या
15:05में चाइना के आर्मी, नौर्थीश
15:07फ्रंटियर एजिनसी में मार्च कर रही है.
15:09हमें कुछ रिवर्सिस देखने को मिले है
15:11वालॉंग जैसी जगाओं में. लेकिन
15:13एक चीज मैं देश के सामने
15:15क्लियर कर देना चाहता हूँ. हम तब तक नहीं
15:17रुकेंगे जब तक ये घुस बेटिया देश
15:19बाहर नहीं पहुँच जाता. या फिर
15:21बाहर नहीं धखेल दिया जाता.
15:23हम तब तक नहीं रुकेंगे जब ये घुस बेटिया देश बाहर नहीं रुकेंगे जब ये घुस बेटिया देश बाहर नहीं रुकेंगे जब ये घुस बेटिया देश बाहर नहीं रुकेंगे जब ये घुस बेटिया देश बाहर नहीं रुकेंगे जब ये घुस बेट
15:53American President से वो मदद मांगते हैं कि US Military आकर चाइनीज के खिलाफ एर स्ट्राइक्स करें
15:59US Military की एंबॉल्मेंट एक बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता था इस वार में
16:03लेकिन अगले ही दिन 21 नवेंबर को फुधी से ही अपनी तरफ से जंग रोक देती हैं
16:09Chinese Forces MacMahon Line से 20 किलो मेटर पीछे लेकर विड्ढ्रॉओ कर ली जाती हैं
16:14जहाँ एक बड़ा सवाल ये कि Chinese Army के पास इतना बड़ा अपर हैंड था इस वार में
16:19तो उन्होंने अचानक से लड़ना क्यूं रोक दिया?
16:21कई एक्सपर्ट्स मानते हैं ये एक टैक्टिकल डिसिजन था
16:24सर्दियों का मौसम बड़ी तेजी से आ रहा था
16:26Chinese Army की जो सप्लाइ लाइन थी वो वल्निरबल बनने वाली थी
16:30और शायद इस से भी ज्यादा इंपोर्टेंट
16:31American President John F. Kennedy ने जवाहलान लेहरू की सुन ली थी
16:35American हतियार, ammunition और clothing इंडिया में fly-in कराये जा रहे थे
16:39तो ऐसे मौकी पर एक बहुती strategic decision चाइनीज आर्मी की तरफ से
16:43की लड़ना बंद किया जाये और victory डिक्लेयर कर दी जाये
16:47चाइनीज आर्मी चुशूल की area से भी withdraw कर जाती है
16:50जो की आज के दिन Indian territory का हिस्सा है
16:52Eastern sector में America Indian boundary को recognize करता है
16:56McMahon line को international border accept किया जाता है
16:59इसके तहट पूरा का पूरा अरुनाचल प्रदेश का area इंडिया का हिस्सा बने रहता है
17:03वो अलग बात है कि आज के दिन China ने अपने नख्षे निकाले हैं
17:07और वो दुबारा से अरुनाचल प्रदेश के area पर अपना claim बनाते हैं
17:11दूसरी दरफ अक्साय चिन का area चाइना ने completely occupy कर लिया था
17:15तो आज के दिन अमेरिका अक्साय चिन को एक disputed area मानता है
17:19जिसे चाइना के दुबारा administer किया जाता है
17:21लेकिन इंडिया के दुबारा claim किया जाता है
17:24अमेरिका का ये भी मानना था कि चाइना का ये military action
17:27अपनी खुद की population को distract करने का एक तरीका था
17:30बाकि और international opinions देखे जाएं तो
17:32बृतिश सरकार पूरी तरीके से इंडिया की side पर थी
17:36उस वक्त के foreign secretary Lord Holme ने कहा था
17:44यहाँ एक interesting चीज मेंशन करनी ज़रूरी है
17:46जब प्रदान मंतरी नेहरू ने
17:48अमेरेका से fighter jets की request करी थी
17:51बताया जाता है कि fighter jets देने से मना कर दिया था Kennedy ने
17:54इसके पीछे एक कारण ये कि USA-Cuban missile crisis से डील कर रहा था इसी समय के दुरान
18:00यह crisis इतनी बड़ी थी कि इसकी वज़े से almost एक world war 3 छेड़ गई
18:04इंटरनली पंडित नेहरू को बहुत criticism face करना पड़ता है सरकारी officials
18:09Even President Radha Krishnan पंडित नेहरू को criticize करते हैं
18:13आर्मी की सही समय पर तयारी ना होना blame किया जाता है Defence Minister पर
18:17और इसके response में Defence Minister Menon अपनी position से इस्तिफा भी दे देते हैं
18:22पंडित नेहरू खुद अपनी गल्टियों को सीधा सीधा सुईकार करते हैं
18:25Imagine कर सकते हो आज के दिन जब China इंडियन जमीन पर कभजा जमाए जा रहा है
18:30अपने claims को बढ़ा रहा है हमारी top leadership अपनी गल्टियों को admit करें
18:341962 और आज के दिन में एक बहुत बड़ा difference है
18:38आज हम अपनी inferiority admit कर रहे हैं
18:41जबकि 1962 में हमको अपना over confidence admit करना पड़ा था
18:46इस हार के बाद पंडित नेहरू की health बढ़ी तेजी से खराब होने लगती है
18:50बताया जाता है जो emotional stress, shock और strain उनकी body को सेहना पड़ा
18:54ये एक बड़ा कारण था उनकी खराब होती हुई health के पीछे
18:57इस war के करीब एक साल बाद January 1964 में पंडित नेहरू को एक stroke होता है
19:04और कुछ महिने बाद May 1964 में जवाहलाल नेहरू का दिहांत हो जाता है
19:25लता मंगेशकर जी का ये गाना ए मेरे वतन के लोगो 27 January 1963 को रिलीस किया जाता है
19:32इसी war में शहीद हुए soldiers के tribute के तौर पर
19:35इसके बाद इंडिया और चायना के बीच के जो relations थे वो कभी सुधरते नहीं है
19:401967 में एक और minor conflict होता है
19:431987 में और clashs देखने को मिलते हैं
19:46फिर आते हैं हम 2017 के Doklam clashes पर और आज के दिन तक
19:50ये border disputes और clashes जारी हैं
19:53ये वीडियो पसंद आया है तो ऐसे ही मैंने और videos बनाए है
19:551971 की war पर और 1999 की Kargil war पर
19:59Kargil war वारा वीडियो यहां क्लिक करके आप देख सकते हैं
20:02बहुत-बहुत धन्यवाद

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