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डॉप्‍लर स्‍कैन एक तरह का रेगुलर अल्‍ट्रासाउंड स्‍कैन ही होता है और इसमें हाई फ्रीक्‍वेंसी साउंड वेव्‍स का इस्‍तेमाल किया जाता है। नॉर्मल अल्‍ट्रासाउंड की तरह ही इसकी प्रक्रिया होती है और इसमें आप कंप्‍यूटर पर गर्भस्‍थ शिशु की तस्‍वीर देख सकते हैं।गर्भवती महिला के लिए डॉप्‍लर स्‍कैन सुरक्षित है लेकिन आपको एक प्रशिक्षित अल्‍ट्रासाउंड डॉक्‍टर से ही ये स्‍कैन करवाना है। इस अल्‍ट्रासाउंट से शिशु की सेहत के बारे में पूरी जानकारी पाने में मदद मिलती है। आमतौर पर प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही यानी 36 और 40वें सप्‍ताह में ग्रोथ स्‍कैन के साथ डॉप्‍लर स्‍कैन किया जाता है। हालांकि, अगर गर्भावस्‍था में कोई प्रॉब्‍लम हो तो इससे पहले भी डॉप्‍लर टेस्‍ट करवाया जा सकता है।

Doppler scan is different from regular ultrasound because it also tells about blood flow in blood vessels, speed, direction of blood flow and blood clots. Most ultrasounds these days have an inbuilt Doppler feature and both the scans can be done simultaneously.Yes, doppler scan is safe for pregnant women but you have to get this scan done by a trained ultrasound doctor. This ultrasound helps in getting complete information about the health of the baby. Doppler scan is usually done along with growth scan in the third trimester of pregnancy i.e. 36 and 40 weeks

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~HT.98~PR.111~ED.118~

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