सरदार पटेल की आज 145वीं जयंती है। आजाद भारत के पहले गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल की उस दौरान बंटी रियासतों को भारत में मिलाने में अहम भूमिका रही। इस काम को उन्होंने बगैर किसी बड़े लड़ाई झगड़े के बखूबी किया।
अभी की राजनीति में सरदार पटेल केन्द्र में बने हुए हैं। भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने पर सरदार पटेल के विचार सीधे थे। उनका मानना था कि भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश है और यहां वैसी राजनीति नहीं की जा सकती जैसी अन्य मुस्लिम बहुल देशों में की जाती है। उनका कहना था कि भारत के मुसलमानों को हमेशा यह महसूस होना चाहिए की वो भारत के नागरिक हैं और सभी की तरह उन्हें भी समान अधिकार है।
उन्होंने कहा था कि अगर हम मुसलमानों को यह महसूस कराने में विफल होते हैं तो हमारा इस रियासत और इस देश पर कोई हक़ नहीं रह जाता। सरदार पटेल की राजनीति की तुलना अगर आज की देश में हो रही राजनीति से करें तो ज़मीन और आसमान का फर्क है। सरदार पटेल की सोच आज की राजनीति के मुक़ाबले कहीं बड़ी थी।
अभी की राजनीति में सरदार पटेल केन्द्र में बने हुए हैं। भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने पर सरदार पटेल के विचार सीधे थे। उनका मानना था कि भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश है और यहां वैसी राजनीति नहीं की जा सकती जैसी अन्य मुस्लिम बहुल देशों में की जाती है। उनका कहना था कि भारत के मुसलमानों को हमेशा यह महसूस होना चाहिए की वो भारत के नागरिक हैं और सभी की तरह उन्हें भी समान अधिकार है।
उन्होंने कहा था कि अगर हम मुसलमानों को यह महसूस कराने में विफल होते हैं तो हमारा इस रियासत और इस देश पर कोई हक़ नहीं रह जाता। सरदार पटेल की राजनीति की तुलना अगर आज की देश में हो रही राजनीति से करें तो ज़मीन और आसमान का फर्क है। सरदार पटेल की सोच आज की राजनीति के मुक़ाबले कहीं बड़ी थी।
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