शिव हैं वे। वे तो जगतव्यापी हैं। उनके मंदिर देश के हर कोने में हैं। इन मंदिरों के साथ जुडी हैं कई रोचक कथाएं। तो महादेव यानी शिव का अदभुत मंदिर है मधुबनी जिले के भवानीपुर गांव में। उगना महादेव या उग्रनाथ मंदिर के नाम से ये मंदिर प्रसिद्ध है।
कहा जाता है यहां भगवान शिव ने मैथिली के महाकवि विद्यापति की चाकरी की थी। विद्यापति के रचित पद्य यानी कविताएं शिव को इतनी पसंद आईं कि उन्हें सुनने के लिए वे विद्यापति के यहां अपना नाम और रुप बदलकर नौकर के रुप में महान कवि के यहां काम करने लगे। उनका नौकर के तौर पर नाम था उगना।
इस उगना महादेव के मंदिर के गर्भ गृह में जाने के लिए छह सीढ़िया उतरनी पड़ती है। ठीक उसी तरह जैसे उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवलिंग तक पहुंचने के लिए छह सीढ़ियां उतरनी पड़ती है।
उगना महादेव के बारे में कहा जाता है कि ये आपरूपी प्रकट हुआ शिवलिंग है। यहां शिवलिंग आधार तल से पांच फीट नीचे है। यह मिथिला क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर है। मंदिर के आसपास का वातावरण अत्यंत मनोरम है। चारों तरफ गांव और खेत हैं। मंदिर के सामने एक विशाल सरोवर है। मंदिर परिसर का भव्य प्रवेश द्वार बनाया गया है। माघ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाला नर्क निवारण चतुर्दशी इस मंदिर का प्रमुख त्योहार है।
उगना महादेव मंदिर में शिवलिंगम।
वर्तमान उगना महादेव मंदिर 1932 का बनाया हुआ बताया जाता है। कहा जाता है कि 1934 के भूकंप में इस मंदिर का बाल बांका नहीं हुआ। अब मंदिर का परिसर काफी भव्य बन गया है। मुख्य मंदिर के अलावा परिसर में यज्ञशाला और संस्कारशाला बनाई गई है। मंदिर के सामने के सुंदर सरोवर है। इसके पास ही एक कुआं है। इस कुएं के बारे में कहा जाता है कि शिव ने यहीं से पानी निकाला था। काफी श्रद्धालु इस कुएं का पानी पीने के लिए यहां आते हैं।
भवानीपुर गांव की आबादी छह हजार है। यहां कई जातियों के लोग रहते हैं। गांव में समरसता का माहौल है। गांव मधुबनी विधानसभा क्षेत्र में आता है। गांव में 1954 का बना हाई स्कूल है। गांव में सड़कें अच्छी हैं। मंदिर पास एक छोटा सा बाजार है। जहां खाने पीने के लिए मिल जाता है।
कैसे पहुंचे - दरभंगा से सकरी होकर मधुबनी जाने वाली रेलवे लाइन पर उगना हाल्ट पड़ता है। यहां से उगना महादेव मंदिर की दूरी करीब दो किलोमीटर है। बस से दरभंगा से सकरी होते हुए पंडौल पहुंचे। पंडौल से एक किलोमीटर पहले ब्रहमोतरा गांव से भवानीपुर की दूरी 4 किलोमीटर है। यहां से आप पैदल या फिर निजी वाहन से जा सकते हैं। भवानीपुर तक जाने के लिए कोई सार्वजनिक वाहन अक्सर नहीं मिल पाता है।
मंदिर के सामने स्थित कुआं।
उगना महादेव की कथा - मंदिर क पुजारी नारायण ठाकुर और उनके बेटे मुरारी ठाकुर उगना महादेव की कथा सुनाते हैं। 1352 में जन्मे विद्यापति भारतीय साहित्य की भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। वे तुलसी, सूर, कबूर, मीरा सभी से पहले के कवि हैं। महाकवि विद्यापति का जन्म वर्तमान मधुबनी जनपद के बिसफी नामक गांव में एक सभ्रान्त मैथिल ब्राह्मण गणपति ठाकुर के घर हुआ था। बाद में यशस्वी राजा शिवसिंह ने यह गांव विद्यापति को दानस्वरुप दे दिया था। इनके पिता गणपति ठाकुर मिथिला नरेश शिवसिंह के दरबार में सभासद थे।
शिवसिंह का राजघराना सकरी के पास राघोपुर में था। विद्यापति के पदों में यत्र-तत्र राजा शिवसिंह एवं रानी लखमा देई का उल्लेख आता है। महाकवि विद्यापति भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्होंने महेशवानी और नचारी के नाम से शिवभक्
कहा जाता है यहां भगवान शिव ने मैथिली के महाकवि विद्यापति की चाकरी की थी। विद्यापति के रचित पद्य यानी कविताएं शिव को इतनी पसंद आईं कि उन्हें सुनने के लिए वे विद्यापति के यहां अपना नाम और रुप बदलकर नौकर के रुप में महान कवि के यहां काम करने लगे। उनका नौकर के तौर पर नाम था उगना।
इस उगना महादेव के मंदिर के गर्भ गृह में जाने के लिए छह सीढ़िया उतरनी पड़ती है। ठीक उसी तरह जैसे उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवलिंग तक पहुंचने के लिए छह सीढ़ियां उतरनी पड़ती है।
उगना महादेव के बारे में कहा जाता है कि ये आपरूपी प्रकट हुआ शिवलिंग है। यहां शिवलिंग आधार तल से पांच फीट नीचे है। यह मिथिला क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर है। मंदिर के आसपास का वातावरण अत्यंत मनोरम है। चारों तरफ गांव और खेत हैं। मंदिर के सामने एक विशाल सरोवर है। मंदिर परिसर का भव्य प्रवेश द्वार बनाया गया है। माघ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाला नर्क निवारण चतुर्दशी इस मंदिर का प्रमुख त्योहार है।
उगना महादेव मंदिर में शिवलिंगम।
वर्तमान उगना महादेव मंदिर 1932 का बनाया हुआ बताया जाता है। कहा जाता है कि 1934 के भूकंप में इस मंदिर का बाल बांका नहीं हुआ। अब मंदिर का परिसर काफी भव्य बन गया है। मुख्य मंदिर के अलावा परिसर में यज्ञशाला और संस्कारशाला बनाई गई है। मंदिर के सामने के सुंदर सरोवर है। इसके पास ही एक कुआं है। इस कुएं के बारे में कहा जाता है कि शिव ने यहीं से पानी निकाला था। काफी श्रद्धालु इस कुएं का पानी पीने के लिए यहां आते हैं।
भवानीपुर गांव की आबादी छह हजार है। यहां कई जातियों के लोग रहते हैं। गांव में समरसता का माहौल है। गांव मधुबनी विधानसभा क्षेत्र में आता है। गांव में 1954 का बना हाई स्कूल है। गांव में सड़कें अच्छी हैं। मंदिर पास एक छोटा सा बाजार है। जहां खाने पीने के लिए मिल जाता है।
कैसे पहुंचे - दरभंगा से सकरी होकर मधुबनी जाने वाली रेलवे लाइन पर उगना हाल्ट पड़ता है। यहां से उगना महादेव मंदिर की दूरी करीब दो किलोमीटर है। बस से दरभंगा से सकरी होते हुए पंडौल पहुंचे। पंडौल से एक किलोमीटर पहले ब्रहमोतरा गांव से भवानीपुर की दूरी 4 किलोमीटर है। यहां से आप पैदल या फिर निजी वाहन से जा सकते हैं। भवानीपुर तक जाने के लिए कोई सार्वजनिक वाहन अक्सर नहीं मिल पाता है।
मंदिर के सामने स्थित कुआं।
उगना महादेव की कथा - मंदिर क पुजारी नारायण ठाकुर और उनके बेटे मुरारी ठाकुर उगना महादेव की कथा सुनाते हैं। 1352 में जन्मे विद्यापति भारतीय साहित्य की भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। वे तुलसी, सूर, कबूर, मीरा सभी से पहले के कवि हैं। महाकवि विद्यापति का जन्म वर्तमान मधुबनी जनपद के बिसफी नामक गांव में एक सभ्रान्त मैथिल ब्राह्मण गणपति ठाकुर के घर हुआ था। बाद में यशस्वी राजा शिवसिंह ने यह गांव विद्यापति को दानस्वरुप दे दिया था। इनके पिता गणपति ठाकुर मिथिला नरेश शिवसिंह के दरबार में सभासद थे।
शिवसिंह का राजघराना सकरी के पास राघोपुर में था। विद्यापति के पदों में यत्र-तत्र राजा शिवसिंह एवं रानी लखमा देई का उल्लेख आता है। महाकवि विद्यापति भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्होंने महेशवानी और नचारी के नाम से शिवभक्
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