कोरोना संक्रमण के कारण देश में किया गया लॉक डाउन मजदूरों के लिए बहुत भारी साबित हुआ. पहले काम धंधे बंद होने से उनका रोजगार छूटा फिर जब उनके नियोक्ताओं ने उनके खाने रहने की व्यवस्था नहीं की तो उन्हें मजबूरन अपने गृह राज्यों की ओर पैदल ही रवाना होना पड़ा.इससे रास्ते में कई श्रमिकों की मौत हो गई .बाद में केंद्र सरकार ने इस मामले पर ध्यान दिया और श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई तो उनमें एक और परेशानी आ खड़ी हुई .रेलवे द्वारा चलाई गई कई ट्रेनें रास्ता भटक कर अपने तय समय से काफी देर से अपने गंतव्य पहुंची. गुजरात के सूरत से चली एक ट्रेन जिसे 2 दिन में बिहार के सिवान में पहुंचना था वह आठ दिनों में सिवान पहुंच पाई. वहीं सूरत से ही चली दो अन्य ट्रेनें रास्ता भटक कर सीवान की बजाय उड़ीसा के राउरकेला और कर्नाटक में बेंगलुरु पहुंच गई. तय समय से कई गुना ज्यादा समय लेने के कारण मजदूर भूख प्यास से बेहाल हो गए. लॉक डाउन के दौरान प्रशासनिक स्तर पर हुई इस लापरवाही पर कटाक्ष कर रहा है सुधाकर सोनी का यह कार्टून
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