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  • 2/1/2019
साल 1992 के बाद लगभग हर लोकसभा चुनाव का अहम मुद्दा रहा है विवादित ढांचा और अयोध्या का राम मंदिर। 1989 के अंत में सुलगी राम मुद्दे की चिंगारी 1992 छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ढहाने के बाद से आज तक जल रही है। इस घटना को करीब 26 साल हो चुके हैं लेकिन मुद्दा जस का तस है। हर छह दिसंबर को अयोध्या ही नहीं पूरे देश में एक अलग सा उन्माद देखने को मिलता है।
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को लाखों की संख्या में पहुंचे कारसेवकों ने गिरा दिया था। इसके बाद पूरा देश सांप्रदायिक हिंसा की आग में जलने लगा था। कारसेवकों की भीड़ के आगे केंद्र सरकार और राज्य सरकार लाचार दिखी। 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद को इस दिन जय श्रीराम के उद्घोष के साथ ढहा दिया था।
6 दिसंबर 1992 को देशभर से लाखों की संख्या में पहुंचे कारसेवकों ने पूरी मस्जिद कुछ घंटों में तोड़ दी। उस समय कारसेवकों का नारा था- एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो उस दिन कोई ऐसा नहीं था जिसने 'जयश्रीराम' का उद्घोष न किया हो, यहां तक की घटना स्थल पर मौजूद पुलिसकर्मी भी वहां नारे लगा रहे थे। धीरे-धीरे देशभर के कारसेवकों का हुजूम अयोध्या में बढ़ रहा था, भीड़ हिंसक हो रही थी। दोपहर होते-होते भीड़ हिंसक होने लगी और मस्जिद की सुरक्षा के लिए मौजूद पुलिस और कार्यकर्ताओं में झड़प तेज हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि पुलिसकर्मी भी इधर-उधर निकल गए। जयघोष के साथ मस्जिद पर लोग चढ़ गए और छैनी-हथौड़ी लेकर मस्जिद तोड़ने में जुट गए।

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