होलिका को भले हम एक खलनायिका या एक बुरी बुआ के तौर पर जानते हैं लेकिन होलिका की असल कथा सुनकर आपकी आँखें भी नम हो जाएंगीं. आज भी होली के त्यौहार पर पहले होलिका दहन होता है और फिर रंग खेले जाते हैं..
शायद आपको न पता हो कि होलिका नफरत नहीं बल्कि प्रेम की आग में जलकर ख़ाक हुई थी. दरअसल होलिका.... इलोजी नाम के व्यक्ति से बहुत प्यार करती थी और दोनों का विवाह भी फाल्गुन पूर्णिमा को तय हो चुका था.
इसी दौरान, होलिका का भाई हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद की विष्णु भक्ति से बुरी तरह बौखलाया हुआ था और उसने अपने बेटे को मौत के घाट उतारने की ठान ली थी.
उसने होलिका को कहा कि वह प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि कुंड में बैठ जाए. चूँकि होलिका अग्नि की उपासक थी. इसलिए उसे आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था. परन्तु होलिका ने यह कार्य करने से मना कर दिया.
शायद आपको न पता हो कि होलिका नफरत नहीं बल्कि प्रेम की आग में जलकर ख़ाक हुई थी. दरअसल होलिका.... इलोजी नाम के व्यक्ति से बहुत प्यार करती थी और दोनों का विवाह भी फाल्गुन पूर्णिमा को तय हो चुका था.
इसी दौरान, होलिका का भाई हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद की विष्णु भक्ति से बुरी तरह बौखलाया हुआ था और उसने अपने बेटे को मौत के घाट उतारने की ठान ली थी.
उसने होलिका को कहा कि वह प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि कुंड में बैठ जाए. चूँकि होलिका अग्नि की उपासक थी. इसलिए उसे आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था. परन्तु होलिका ने यह कार्य करने से मना कर दिया.
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