यह माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण करीबन ७०० साल पहले पंडित श्रीधर द्वारा हुआ था, जो एक ब्राह्मण पुजारी थे जिन्हे माँ के प्रति सच्ची श्रद्धा भक्ति थी जबकि वह गरीब थे। उनका सपना था की वह एक दिन भंडारा ( व्यक्तियों के समूह के लिए भोजन की आपूर्ति ) करे, माँ वैष्णो देवी को समर्प्रित भंडारे के लिए एक शुभ दिन तय किया गया और श्रीधर ने आस पास के सभी गाँव वालो को प्रसाद ग्रहण करने का न्योता दिया | भंडारे वाले दिन पुनः श्रीधर अनुरोध करते हुए सभी के घर बारी बारी गया ताकि उसे खाना बनाने की की सामग्री मिले और वह खाना बना कर मेहमानो को भंडारे वाले दिन खिला सके।
सभी को छोड़कर थोड़ो ने उसकी मदद की पर वह काफी नहीं था क्यों की मेहमान ज्यादा थे। जैसे जैसे भंडार का दिन नजदीक और नजदीक आता जा रहा था , पंडित श्रीधर की मुसीबतें भी बढ़ती जा रही थी। वह सोच रहा था इतने कम सामान के साथ भंडारा कैसे होगा। भंडारे के एक दिन पहले श्रीधर एक पल के लिए भी सो नहीं पा रहा था यह सोचकर की वह मेहमानो को भोजन कैसे करा पायेगा ,इतनी कम सामग्री में और इतनी कम जगह में। वह सुबह तक उसकी समस्याओं से घिरा हुआ था और बस उसे अब देवी माँ से ही आस थी | वह अपनी झोपड़ी के बाहर पूजा के लिए बैठ गया ,दोपहर तक मेहमान आना शुरू हो गए थे श्रीधर को पूजा करते देख वे जहा जगह दिखी वहा बैठ गए। वे श्रीधर की छोटी से कुटिया में आसानी से बैठ गए और अभी भी काफी जगह बाकी थी।
श्रीधर ने अपनी आंखें खोली और सोचा की इन सभी को भोजन कैसे करायेगा , तब उसने एक छोटी लड़की को उसके झोपडी से बाहर आते हुए देखा जिसका नाम वैष्णवी था भगवान की कृपा से आई थी , वह सभी को स्वादिस्ट खाना परोस रही थी , भंडारा बहुत अच्छी तरह से हो गया था जबकि भैरोनाथ के आदमी ने कई मुसीबतें पैदा की थी जो गोरकनाथ के गुरु थे जिनको भी भंडारे में बुलाया गया था। भंडारे के बाद , श्रीधर उस छोटी लड़ी वैष्णवी के बारे में जानने के लिए उत्सुक था , पर वैष्णवी गायब हो गयी थी , और उसके बाद किसी को नहीं दिखी। बहुत दिनों के बाद श्रीधर को उस छोटी लड़की का सपना आया जिसने उससे कहा की वह माँ वैष्णो देवी थी । माता रानी के रूप में आई लड़की ने उसे सनसनी गुफा के बारे बताया और चार बेटों के वरदान के साथ उसे आशीर्वाद दिया। श्रीधर एक बार फिर खुश हो गया था और माँ की गुफा की तलाश
सभी को छोड़कर थोड़ो ने उसकी मदद की पर वह काफी नहीं था क्यों की मेहमान ज्यादा थे। जैसे जैसे भंडार का दिन नजदीक और नजदीक आता जा रहा था , पंडित श्रीधर की मुसीबतें भी बढ़ती जा रही थी। वह सोच रहा था इतने कम सामान के साथ भंडारा कैसे होगा। भंडारे के एक दिन पहले श्रीधर एक पल के लिए भी सो नहीं पा रहा था यह सोचकर की वह मेहमानो को भोजन कैसे करा पायेगा ,इतनी कम सामग्री में और इतनी कम जगह में। वह सुबह तक उसकी समस्याओं से घिरा हुआ था और बस उसे अब देवी माँ से ही आस थी | वह अपनी झोपड़ी के बाहर पूजा के लिए बैठ गया ,दोपहर तक मेहमान आना शुरू हो गए थे श्रीधर को पूजा करते देख वे जहा जगह दिखी वहा बैठ गए। वे श्रीधर की छोटी से कुटिया में आसानी से बैठ गए और अभी भी काफी जगह बाकी थी।
श्रीधर ने अपनी आंखें खोली और सोचा की इन सभी को भोजन कैसे करायेगा , तब उसने एक छोटी लड़की को उसके झोपडी से बाहर आते हुए देखा जिसका नाम वैष्णवी था भगवान की कृपा से आई थी , वह सभी को स्वादिस्ट खाना परोस रही थी , भंडारा बहुत अच्छी तरह से हो गया था जबकि भैरोनाथ के आदमी ने कई मुसीबतें पैदा की थी जो गोरकनाथ के गुरु थे जिनको भी भंडारे में बुलाया गया था। भंडारे के बाद , श्रीधर उस छोटी लड़ी वैष्णवी के बारे में जानने के लिए उत्सुक था , पर वैष्णवी गायब हो गयी थी , और उसके बाद किसी को नहीं दिखी। बहुत दिनों के बाद श्रीधर को उस छोटी लड़की का सपना आया जिसने उससे कहा की वह माँ वैष्णो देवी थी । माता रानी के रूप में आई लड़की ने उसे सनसनी गुफा के बारे बताया और चार बेटों के वरदान के साथ उसे आशीर्वाद दिया। श्रीधर एक बार फिर खुश हो गया था और माँ की गुफा की तलाश
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