Chinese scientists clone 2 monkeys for 1st time. For the first time, Chinese scientists have cloned monkeys using the same technique that produced a sheep named Dolly, two decades ago, breaking a technical barrier that could open the door to copying humans.Chinese scientists clone monkeys, break barrier to human cloning. Chinese scientists have cloned monkeys using the same technique that produced Dolly the sheep two decades ago, breaking a technical barrier that could open the door to copying humans.
चीन कृत्रिम तरीकों से जीवों के पैदा करने में लगातार कामयाबी हासिल कर रहा है.. चीन ने इस बार कृत्रिम तरीके से बंदरों को तैयार किया है...चीन के वैज्ञानिकों ने इसे तैयार करने के लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जो करीब 2 दशक पहले डॉली नाम की भेड़ को तैयार करने में किया गया था. झोंग झोंग और हुआ हुआ नाम के 2 अफ्रीकन लंगूर कृत्रिम तरीके से तैयार किए गए हैं. आपको बता दें की इन बंदरों का जन्म 6 से 8 हफ्ते पहले हुआ. इनका क्लोन गैर भ्रूण कोशिका से तैयार किया गया. इस पूरी प्रक्रिया को सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर के जरिए किया गया जिससे सेल को गर्भ में भेजा गया था.... दोनों नवजात बंदरों को बोतल के जरिए दूध पिलाया जा रहा है और उनका विकास सामान्य तरीके से हो रहा है. चीन अगले कुछ महीनों में ऐसे ही और अफ्रीकी लंगूरों के क्लोन तैयार किए जा सकते हैं. चीन के इस कदम के बाद लगातार ये सवाल अब उठने लगे हैं की जीव जंतुओं के क्लोन तैयार किया जाना सही है या नहीं... 1996 में स्कॉटलैंड में सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर के जरिए ही डॉली नाम की कृत्रिम भेड़ तैयार की गई थी. इसे वैज्ञानिक जगत में बड़ी कामयाबी माना गया.
चीन कृत्रिम तरीकों से जीवों के पैदा करने में लगातार कामयाबी हासिल कर रहा है.. चीन ने इस बार कृत्रिम तरीके से बंदरों को तैयार किया है...चीन के वैज्ञानिकों ने इसे तैयार करने के लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जो करीब 2 दशक पहले डॉली नाम की भेड़ को तैयार करने में किया गया था. झोंग झोंग और हुआ हुआ नाम के 2 अफ्रीकन लंगूर कृत्रिम तरीके से तैयार किए गए हैं. आपको बता दें की इन बंदरों का जन्म 6 से 8 हफ्ते पहले हुआ. इनका क्लोन गैर भ्रूण कोशिका से तैयार किया गया. इस पूरी प्रक्रिया को सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर के जरिए किया गया जिससे सेल को गर्भ में भेजा गया था.... दोनों नवजात बंदरों को बोतल के जरिए दूध पिलाया जा रहा है और उनका विकास सामान्य तरीके से हो रहा है. चीन अगले कुछ महीनों में ऐसे ही और अफ्रीकी लंगूरों के क्लोन तैयार किए जा सकते हैं. चीन के इस कदम के बाद लगातार ये सवाल अब उठने लगे हैं की जीव जंतुओं के क्लोन तैयार किया जाना सही है या नहीं... 1996 में स्कॉटलैंड में सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर के जरिए ही डॉली नाम की कृत्रिम भेड़ तैयार की गई थी. इसे वैज्ञानिक जगत में बड़ी कामयाबी माना गया.
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